सामान्य ज्ञान
दा सिंगशान चीन का प्राचीन बौद्ध मंदिर है। बौद्ध मंदिर ‘दा सिंगशान’ दक्षिणी शीयान में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण मूल रूप से ‘जीन वंश’ ने करवाया था, जिसका बाद में ‘सुई वंश’ ने विस्तार कराया। लगभग 582 ई. में पुनर्निर्माण के बाद इस मंदिर को ‘दा सिंगशान’ मंदिर कहा जाने लगा। जीन वंश- यह चीन का प्रथम सर्वोच्च शक्तिशाली राजवंश था, जिसने 1600 से 1046 ई.पू. तक चीन में राज्य किया।
शियान, शांक्सी प्रांत की राजधानी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का गृहनगर है। शीयान के साथ चीनी यात्री और मशहूर बौद्ध विद्वान ह्वेन सांग का नाम (निवासी) भी जुड़ा है, जिन्होंने 629 से 645 के दौरान भारत की यात्रा की थी।
चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 मई 2015 को चीन के प्राचीन बौद्ध मंदिर ‘दा सिंगशान’ का दौरा किया था।
कथासरित्सागर
कथासरित्सागर, संस्कृत कथा साहित्य का शिरोमणि ग्रंथ है। इसकी रचना कश्मीर में पंडित सोमदेव (भट्ट) ने त्रिगर्त अथवा कुल्लू कांगड़ा के राजा की पुत्री, कश्मीर के राजा अनंत की रानी सूर्यमती के मनोविनोदार्थ 1063 ई और 1082 ई. के मध्य संस्कृत में की। कथासरित्सागर में 21 हजार 388 पद्म हैं और इसे 124 तरंगों में बांटा गया है। इसका एक दूसरा संस्करण भी प्राप्त है जिसमें 18 लंबक हैं। लंबक का मूल संस्कृत रूप लंभक था। विवाह द्वारा स्त्री की प्राप्ति लंभ कहलाती थी और उसी की कथा के लिए लंभक शब्द प्रयुक्त होता था। इसीलिए रत्नप्रभा, लंबक, मदनमंचुका लंबक, सूर्यप्रभा लंबक आदि अलग-अलग कथाओं के आधार पर विभिन्न शीर्षक दिए गए होंगे।
कथासरित्सागर गुणाढ्यकृत बड्डकहा (बृहत्कथा) पर आधारित है जो पैशाची भाषा में थी।