सामान्य ज्ञान

अमेजन डॉट कॉम क्या है?
07-Jun-2021 12:39 PM
अमेजन डॉट कॉम क्या है?

अमेजन डॉट कॉम विश्व प्रसिद्ध ऑनलाइन खरीदारी पोर्टल है, जिसने भारत में अपने कारोबार का विस्तार किया है।  कंपनी ने अपने भारतीय संस्करण को अमेजन डॉट ईन के स्पेस में लांच किया है। 
आरंभ में अमेजन डॉट ईन ने किताब एवं फिल्म से जुड़ी श्रेणियां ही लांच की है, लेकिन बाद में इसमें मोबाइल फोन एवं कैमरा जैसी श्रेणियों को भी जोड़ा जाएगा।
दुनियाभर में विख्यात अमेजन डॉट कॉम का भारत आना भारत सरकार के द्वारा बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) में 100 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी देने बाद संभव हो पाया है।  हालांकि यह प्रावधान ऑनलाइन रिटेल ट्रेडिंग मे मौजूद नहीं है।
अमेजन डॉट कॉम एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी है जिसका मुख्यालय वाशिंगटन के सिएटल शहर में है। यह विश्व का सबसे बड़ा ऑनलाइन पोर्टल है। इस कंपनी की स्थापना जेफ बेजोस के द्वारा कैडाबरा  के नाम से जुलाई 1994 में की जबकि यह पोर्टल वर्ष 1995 में ऑनलाइन हो पाया। बाद में इसका नाम विश्व की सबसे बड़ी नदी अमेजन के नाम पर अमेजन डॉट कॉम रखा गया। वर्तमान में यह कंपनी उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका तथा एशिया के प्रमुख देशों में अपना कारोबार जमा चुकी है। अब इसने भारत में कदम रखा है। 
 

शुकरहस्योपनिषद

शुकरहस्योपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद शाखा का उपनिषद है। इस उपनिषद में महर्षि व्यास जी के आग्रह पर भगवान शिव उनके पुत्र शुकदेव को महावाक्यों का उपदेश ‘ब्रह्म रहस्य’ के रूप प्रदान करते हैं। शुकदेव जी के नाम से ही इस उपनिषद को शुकरहस्योपनिषद कहा गया है। इस उपनिषद में चार महावाक्य-प्रज्ञानं ब्रह्म,अहं ब्रह्मास्मि, तत्वमसि और अयमात्मा ब्रह्म का उल्लेख किया गया है।

शुकरहस्योपनिषद में बताया गया है कि किस प्रकार ऋषि व्यास जी अपने पुत्र शुकदेव की ज्ञान प्राप्ति के लिए भगवान शिव के पास जाते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह उनके पुत्र शुकदेव को चार प्रकार के मोक्ष महावाक्य बताएं। तब भगवान शिव शुकदेव को  प्रज्ञानं ब्रह्म देते हैं, अर्थात चेतना ही ब्रह्म है वह विशुद्ध-रूप, बुद्धि-रूप, मुक्त-रूप एवं अविनाशी है, सत्य, ज्ञान और सच्चिदानन्द स्वरूप का स्वामी है उसी का ध्यान इस चेतना द्वारा ज्ञात होता है। उस ब्रह्म को जानने के लिए चित कि शुद्धता आवश्यक है, वह ब्रह्म ज्ञान गम्यता से परे है, ब्रह्म का ध्यान करके ही हम ‘मोक्ष’ को प्राप्त कर सकते हैं, उसी का आधार प्राप्त करके सभी जीवों में चेतना का समावेश होता है।  वह अखण्ड विग्रह रूप में चारों ओर व्याप्त होता है।  वही हमारी शक्तियों हमारी क्रियाओं पर नियंत्रण करने वाला है। उसी की प्रार्थना द्वारा चित और अहंकार पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। वह प्रज्ञान अर्थात चैतन्य विद्वान पुरुष है सभी में समाहित ब्रह्म मोक्ष का मार्ग है।
 

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