सामान्य ज्ञान
डेक्सट्रोप्रोप्राक्सीफीन दर्द निवारक दवा (पेनकिलर मेडिसिन) है। भारत में भी अब इस दवा पर प्रतिबंध लग गया है। गंभीर दुष्प्रभाव (साइडइफेक्ट्स) के कारण डेक्सट्रोप्रोपॉक्सीफीन को अमेरिका के बाजार से वर्ष 2010 में वापस ले लिया गया था। ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय बाजारों में भी वर्ष 2007 से 2009 के दौरान इस दवा पर रोक लगा दी गई थी। यूरोपीय औषधि एजेंसी ने वर्ष 2009 में इसे समूचे यूरोपीय संघ से हटाने की सिफारिश की थी।
केंद्र सरकार ने इस दवा विनिर्माण, बिक्री व वितरण पर प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 26 ए के तहत लगाई गई। कई फार्मा ब्रांड इस दवा का प्रयोग पैरासिटामोल के साथ दर्दनिवारक के तौर पर करते हैं। इन ब्रांड्स में वॉकहार्ट का प्रॉक्सीवॉन और रैनबैक्सी का सुथीनॉल, यूएसवी का डेक्सोवॉन, जैग्सनपाल का पारवॉन, पारवॉन-एन, पारवॉन स्पाज, पारवॉन फोर्टे, ल्यूपिन का ल्यूपिवॉन और वालेसे का वालाजेसिक मुख्य हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार डेक्सट्रोप्रोपॉक्सीफीन दवा का उपयोग खतरनाक है। इस दवा के सुरक्षित विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। भारत में इस दवा की बिक्री 70 करोड़ रुपए की है। केंद्र के आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस दवा का विनिर्माण, बिक्री और वितरण रोक दिया है।
दवा महानियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर जनरल) ने वर्ष 2010-11 के दौरान एंटी-डायबिटिक ड्रग रोजिगिल्टाजोन, मोटापा दूर करने वाली दवा सिबूट्रैमाइन, बच्चों की दर्दनिवारक निमुस्यूलाइड, एंटीबायोटिक गैफ्लॉक्सीन जैसी दवाओं पर रोक लगा दी थी.