सामान्य ज्ञान

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद
13-Jul-2021 12:21 PM
रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वर्ष 1966 में रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की। इसने उद्योग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इस समय देश भर में परिषद के 5 हजार 3 सौ सदस्य हैं। परिषद उद्योग के प्रसार के लिए अंतर्राष्ट्रीय आभूषण शो सहित अनेक आयोजन करती है। इनमें व्यापार प्रतिनिधिमंडलों को भेजने और उनकी मेजबानी करने, विदेश में विज्ञापनों, प्रकाशनों, दृश्य-श्रव्य/कॉरपोरेट साहित्य, सदस्यों की डायरेक्टरी के जरिए निरंतर छवि निर्माण आदि शामिल हैं।
सरकार ने इस क्षेत्र की ताकत को पहचानते हुए और रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण पहल की। उद्योग की जरूरत के मुताबिक कारीगरों के दक्षता स्तर को बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल में दोमजूर और गुजरात में खंबात में ऐसे दो केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार आभूषण के क्षेत्र में विविधता को अपनाने के लिए वैश्विक भागीदारी को भी बढ़ावा दे रही है। हीरों और रत्नों की ग्रेडिंग, प्रमाणीकरण, अनुसंधान और विकास, काटने और तराशने के क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने तथा भारत में आधुनिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना के लिए एंटवर्प वल्र्ड डायमंड सेंटर के साथ सहयोग किया गया है।

नारीवाद
नारीवाद राजनैतिक आंदोलन का एक सामाजिक सिद्धांत है जो स्त्रियों के अनुभवों से जनित है। हालांकि मूल रूप से यह सामाजिक संबंधों से अनुप्रेरित है लेकिन कई स्त्रीवादी विद्वान का मुख्य जोर लैंगिक असमानता, और औरतों के अधिकार इत्यादि पर ज्यादा बल देते हैं।
नारीवादी सिद्धांतों का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का जोर प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीडऩ, भेदभाव एवं यौन हिंसा पर रहता है।
स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने।
 

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