सामान्य ज्ञान

सफेद सोना
06-Sep-2021 9:50 AM
सफेद सोना

कपास एक नकदी फ़सल है। इससे रुई तैयार की जाती है। भारत में कपास को  सफ़ेद सोना भी कहा जाता है। लम्बे रेशे वाले कपास सबसे सर्वोत्तम प्रकार के होते हैं, जिसकी लम्बाई 5 सें.मी. से अधिक होती है। इससे उच्च कोटि का कपड़ा बनाया जाता है। तटीय क्षेत्रों में पैदा होने के कारण इसे  समुद्र द्वीपीय कपास भी कहते हैं। मध्य रेशे वाला कपास, जिसकी लम्बाई 3.5 से 5 सें.मी. तक होती है,  मिश्रित कपास  कहलाता है। तीसरे प्रकार का कपास छोटे रेशे वाला होता है, जिसके रेशे की लम्बाई 3.5 सें.मी. तक होती है।

 कपास भारत की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। यहां आर्यावर्त में ऋग्वैदिक काल से ही इसकी खेती की जाती रही है। भारत में इसका इतिहास काफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा चीन और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, भारत, ब्राजील, मिस्र, सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।

 रेशे की लम्बाई के अनुसार कपास तीन प्रकार की होती है-

1. छोटे रेश वाली कपास - इसका धागा 19 मिमी. से कम होता है। इसकी मुख्य कि़स्में चिन्नापथी, मुगरा, उमरा, कोमिला, उत्तर प्रदेश देशी, पंजाब देशी, राजस्थान देशी तथा मेथिओं है। इसका उत्पादन अधिकतर असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और मेघालय में किया जाता है। कुल उत्पादन का 15 प्रतिशत इसी प्रकार की कपास का होता है।

2. मध्यम रेशे वाली कपास - इसका धागा 20 मिमी. से 24 मिमी. तक लम्बा होता है। इसकी मुख्य कि़स्में प्रभानी, गोरानी, पंजाब, अमेरिकन, दिग्विजय, विजल्प, संजय, इन्दौर-2, बूडी एल-147, खानदेश, गिरनार जयधर, काकीनाडा, कल्याण, उत्तरी, जरीला, बीरम, मालवी, राजस्थान अमरीकन हैं। कुल उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत इस प्रकार की कपास का होता है।

3. लम्बे रेशे वाली कपास - इसका धागा 24.5 मिमी. से 27 मिमी. तक लम्बा होता हैं। इसकी मुख्य कि़स्में गुजरात, देवीराज, समुद्री कपास, बदनावार-1, मद्रास, कम्बोडिया, सुजाता, बूडी और लक्ष्मी हैं। कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत इस कि़स्म का होता है।

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