सामान्य ज्ञान

अष्टांग
07-Sep-2021 7:19 PM
अष्टांग

आयुर्वेद के आठ अंग अथवा शाखाएं होती हैं जो निम्नलिखित हैं -
1. कायचिकित्सा (वह चिकित्सा जो शरीर के ज्वरग्रस्त होने पर की जाती है ) ।
2. बालचिकित्सा (बच्चों के लिए जो चिकित्सा की जाती है । इसका दूसरा नाम है कौमारभृत्यं ) ।
3. ग्रह चिकित्सा (मनोरोग चिकित्सा । इसका दूसरा नाम है भूतविद्या)।
4. ऊर्ध्वांग चिकित्सा (कंठ के ऊपरी भाग के अवयवों की चिकित्सा । दूसरा नाम है शालाक्य चिकित्सा) ।
5. शल्यचिकित्सा (जिन रोगों के निवारण के लिए शल्य चिकित्सा आवश्यक है ) ।
6. विषचिकित्सा (विष ग्रस्त होने पर जो चिकित्सा है की जाती वह)।
7.रसायन चिकित्सा (यौवन को बनाए रखते हुए वार्धक्य को लम्बित करने की चिकित्सा) ।
8. वाजीकरण चिकित्सा (यौन ऊर्जा पुष्ट करने की चिकित्सा) ।
 

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