सामान्य ज्ञान
सौर वायु किसी तारे के बाहरी वातावरण द्वारा उत्सर्जित आवेशित कणों की एक धारा होती है। सौर वायु मुख्यत: अत्याधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रान और प्रोटान से बनी होती है, इनकी ऊर्जा किसी तारे के गुरुत्व प्रभाव से बाहर जाने के लिए पर्याप्त होती है। सौर वायु सूर्य से हर दिशा में प्रवाहित होती है जिसकी गति कुछ सौ किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। सूर्य के संदर्भ में इसे सौर वायु कहते हैं, अन्य तारों के संदर्भ में इसे ब्रम्हांड वायु कहते हंै।
सूर्य से कुछ दूरी पर प्लुटो से काफी बाहर सौर वायु खगोलीय माध्यम के प्रभाव से धीमी हो जाती है। यह प्रक्रिया कुछ चरणों में होती है। खगोलीय माध्यम यह हायड्रोजन और हिलीयम से बना हुआ है और सारे ब्रम्हांड में फैला हुआ है। यह एक अत्याधिक कम घनत्व वाला माध्यम है। सौर वायु सुपर सोनिक गति से धीमी होकर सबसोनिक गति में आ जाती है, इस चरण को टर्मीनेशन शाक या समापन सदमा कहते हंै।
सबसोनिक गति पर सौर वायु खगोलिय माध्यम के प्रवाह के प्रभाव में आ जाती है। इस दबाव से सौर वायु धूमकेतु की पुंछ जैसी आकृति बनाती है जिसे हीलीयोशेथ कहते हंै। हीलीयोशेथ की बाहरी सतह जहां हीलीयोस्फियर खगोलीय माध्यम से मिलता है हीलीयोपाज कहलाती है। हीलीयोपाज क्षेत्र सूर्य के आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा के दौरान खगोलीय माध्यम में एक हलचल उत्पन्न करता है। यह खलबली वाला क्षेत्र जो हीलीयोपाज के बाहर है बौ शाक या धनुष सदमा कहलाता है।