सामान्य ज्ञान
कादम्बरी बाणभट्ट की अमर कृति है। यह उनकी ही नहीं समस्त संस्कृत वाङमय की अनूठी गद्य-रचना है। कादम्बरी की कथा एक जन्म से सम्बद्ध न होकर चन्द्रपीड तथा पुण्डीक के तीन जन्मों से सम्बद्ध है।
कादम्बरी की कथा दो भागों में विभक्त है- पूर्वभाग तथा उत्तरभाग। पूर्वभाग बाणभट्ट की रचना है और उत्तरभाग उनके पुत्र भूषणभट्ट (पुलिन्द भट्ट) की।
कादम्बरी कथा है। बाण ने स्वयं प्रस्तावना के अन्त में-धिया निवद्धेयमतिद्वयी कथा कहकर इसे कथा के रूप में स्पष्ट स्वीकार किया है। तीन जन्मों से सम्बद्ध कादम्बरी की कहानी रोचक शैली में लिखी गई है। बाण को कादम्बरी-कथा लिखने की प्रेरणा गुणाढ्य की बृहत्कथा से प्राप्त हुई है। पैशाची भाषा में निबद्ध बृहत्कथाका संस्कृत रूपान्तरकथा सरित्सागर में आई हुई राजा सुमना की कथा और कादम्बरी की कथा में बहुत कुछ समानता मिलती है। कादम्बरी में बाण की सबसे अनूठी कल्पना जो प्रेम के अलौकिक स्वरूप और रहस्य का प्रतीक है- वह है नायिका द्वारा नायक की शरीर रक्षा करते हुए पुनर्मिलन की प्रतीक्षा करना।