सामान्य ज्ञान
फुटबॉल इतिहास में 24 मई का दिन शोक और सबक के तौर पर दर्ज है। 24 मई 1964 को रेफरी के एक विवादास्पद फैसले से स्टेडियम में ही भगदड़ मच गई और 300 से ज्यादा लोग मारे गए।
24 मई 1964 के दिन दक्षिण अमेरिकी देश पेरू की राजधानी लीमा में ओलंपिक क्वालीफाईंग का मैच खेला जा रहा था। पेरू का सामना अर्जेंटीना से था। घरेलू फैन्स पूरे उत्साह के साथ पेरू का समर्थन कर रहे थे। मैच खत्म होने में कुछ ही मिनट बाकी थे, तभी पेरू ने एक गोल किया। रेफरी ने इसे गोल मानने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही स्टेडियम में हिंसा भडक़ उठी। भीड़ को काबू में करने की कोशिशों की वजह से भगदड़ मच गई। 800 से ज्यादा लोग कुचले गए। 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 500 को गंभीर चोटें आईं।
भविष्य में ऐसी भगदड़ों को टालने के लिए दुनिया भर के फुटबॉल संघों ने पहल करनी शुरू की, लेकिन 1982 में फिर एक ऐसा ही हादसा हुआ और पता चला कि कुछ देशों ने पेरू से सबक नहीं लिया। मॉस्को के स्टेडियम में मची उस भगदड़ में 340 लोग मारे गए। इन हादसों के कारण क्राउड मैंनेजमेंट पर शोध होने लगा। पता चला कि अक्सर भीड़ को नियंत्रित करने की पुलिस की कोशिशें ही भगदड़ के लिए जिम्मेदार होती हैंछ। छोटे मोटे हादसे इसके बाद भी हुए लेकिन वक्त बीतने के साथ स्टेडियम सुरक्षित होने लगे।