सामान्य ज्ञान
1. एयोसेबियो- ब्लैक पर्ल और ब्लैक पैंथर के नाम से मशहूर एयोसेबियो ने इंग्लैंड में 1966 में हुए विश्व कप में अपने देश पुर्तगाल की ओर से नौ गोल दाग़े थे। इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत उन्हें गोल्डन बूट मिला था। इंग्लैंड में एयोसेबियो इतने मशहूर हो गए कि विश्व कप के बाद लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजिय़म में उनकी मोम की प्रतिमा लगाई गई।
2. पेले- एडसन एरैन्टेस डो नसीमेंटो के भारी-भरकम नाम वाले पेले को जब पहली बार उनके स्कूली मित्र ने पेले कहा था, तो उन्होंने उनकी पिटाई कर दी थी, लेकिन उस समय शायद वे भी नहीं जानते थे कि यह नाम उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितनी शोहरत दिलाएगा। पेले के लिए कुछ भी कहना कम ही होगा। चार विश्व कप और तीन में ब्राज़ील को खिताब और कुल 12 गोल।
3. जे मूलर - डेर बॉम्बर के नाम से मशहूर जर्मन स्ट्राइकर जे मूलर अपनी गोल करने की क्षमता के कारण जाने जाते थे। 1974 के विश्व कप फ़ाइनल में उनके गोल की सबसे ज़्यादा चर्चा होती है, जिसके कारण पश्चिम जर्मनी को खिताब जीतने में सहायता मिली थी, लेकिन उन्हें शोहरत मिली थी चार साल पहले 1970 के मेक्सिको विश्व कप से। इस विश्व कप में उन्होंने 10 गोल मारे थे।
4. पावलो रोसी-अगर रोसी की कहानी को एक फि़ल्म की स्क्रिप्ट मानी जाए तो शायद उसे बहुत ज़्यादा सनसनीख़ेज कहकर ठुकरा दिया जाता, लेकिन यह सच्चाई है। 1978 के विश्व कप में हिस्सा लेने के बाद पावलो रोसी को मैच फि़क्सिंग मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया। 1982 के विश्व कप में उनकी वापसी हुई। उन्होंने छह गोल मारे, गोल्डन बूट हासिल किया और देश को विश्व कप भी जितवाया।
5.गैरी लिनेकर - दुबले-पतले और मासूम चेहरे वाले गैरी लिनेकर ने 1986 में शानदार प्रदर्शन किया और इंग्लैंड की ओर से छह गोल मारे। इनमें पोलैंड के खिलाफ हैट्रिक भी शामिल हैं। उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन के कारण गोल्डन बूट भी हासिल किया।
6. माराडोना- माराडोना को बेहतरीन स्ट्राइकर न कहें, लेकिन उन्हें प्रतिभा के मामले में शायद ही कम नंबर मिलें। 1986 में विवादास्पद गोल के कारण माराडोना की ख़ूब चर्चा हुई। ईश्वर के हाथ वाले गोल की बात माराडोना ने ख़ुद भी स्वीकार की, लेकिन इससे शायद ही किसी को इनकार होगा कि उनमें प्रतिभा कम नहीं थे।
7. क्लिंसमैन- 1990 में पश्चिम जर्मनी को विश्व कप दिलवाने में क्लिंसमैन की भूमिका से शायद ही किसी को इनकार होगा। हालांकि 1990 के उनके शानदार प्रदर्शन को 1994 की असफलता के कारण धोने की कोशिश की गई, लेकिन उनका नाम बेहतरीन खिलाडिय़ों में दर्ज तो हो ही गया। 1990 में उनके प्रदर्शन को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
8. हृस्टो स्ट्वाइचकोव -बुल्गारिया के हृस्टो स्ट्वाइचकोव ने 1994 में अपने देश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने में मदद की और तो और उस वर्ष के विश्व कप में अपने देश को चौथा स्थान दिलाकर स्ट्वाइचकोव ने अपना नाम भी रोशन किया, लेकिन कभी भी वे विवादों से दूर नहीं रहे ।
9. रोनाल्डो- ब्राज़ील के मशहूर खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो को 1994 के विश्व कप में पहली बार खेलने का मौक़ा मिला, लेकिन 1998 के फ़ाइनल में उनकी हालत को लेकर अभी भी सवाल उठते रहते हैं। 2002 में उन्होंने इससे उबरते हुए अपने देश को फिर चैम्पियन बनवाया। 2002 में उन्होंने आठ गोल मारे और गोल्डन बूट भी हासिल किया। इसमें कोई शक नहीं कि वे दुनिया के बेहतरीन स्ट्राइकरों में से एक हैं। वर्ष 2006 के फ़ीफ़ा वल्र्ड कप में उनका जादू नहीं चला और ब्राज़ील की टीम सेमीफ़ाइनल में भी नहीं पहुंच पाई। आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने इस विश्व कप में भी तीन गोल मारे। इस समय वे विश्व कप में सर्वाधिक 15 गोल मारने वाले खिलाड़ी हैं.।