सामान्य ज्ञान
नामीब रेगिस्तान नामीबिया में स्थित है। यह रेगिस्तान काफ़ी गर्म और शुष्क है। यह बोत्सवाना, पूर्वी नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका का उत्तरी भाग है, जो 1 लाख 35 हजार वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में विस्तारित हैं। नामीब रेगिस्तान के विषय में यह माना जाता है कि यह संसार का सबसे पुराना रेगिस्तान है। यहाँ वर्षा बहुत कम मात्रा में होती है। यहां की चट्टानों में विभिन्न रंग के शैवाल उगते हैं। पृथ्वी के बड़े जीव हाथी सहित यहां अनेक प्रकार के जीव-जंतु भी निवास करते हैं। ॉ
नामीब मरुस्थल, अटलांटिक तट और कालाहारी के रेगिस्तान देखने हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग आते हैं।
पिछले कऱीब 8 करोड़ वर्षों से यह रेगिस्तान शुष्क या अर्धशुष्क रहा है। इस रेगिस्तान की रचना दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के तटीय किनारों के साथ बेगुंएला की ठंडी जल धाराओं द्वारा शुष्क वायु से ठंडा होने पर संभव हुई है। इस रेगिस्तान की चैड़ाई लगभग 160 कि.मी. तथा लंबाई 1300 कि.मी. है। यहां के बालू के टीले अस्थिर होते हैं। इस रेगिस्तान के बालू के कुल टीलों में से 'स्टार टिब्बा' लगभग 10 प्रतिशत है। यहां वार्षिक वर्षा का औसत 15 मि.मी. से कम ही रहता है। नमी का मुख्य स्रोत तटीय क्षेत्र का कोहरा होता है।
नामीब रेगिस्तान लगभग ऊसर है, लेकिन फिर भी यहां वनस्पति तथा जीवों की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। विश्व की एक दुर्लभ वनस्पति प्रजाति वेलविटचिअ मिरेबिलिस यहां उगती है। झाड़ी के प्रकार के ये पौधे काफ़ी लंबाई तक बढ़ते हैं। इन पौधों में चौड़ी-चौड़ी पत्तियां निकलती रहती हैं। यह पत्तियां बहुत लंबी हो जाती हैं तथा तेज हवा के कारण घुमावदार आकृति ग्रहण कर लेती हैं। यह पौधा विपरीत परिस्थितियों में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। यहां की वनस्पतियां तटीय क्षेत्र के कोहरे से नमी सोखने की क्षमता रखती हैं। नामीब रेगिस्तान की चट्टानों पर लाइकेन यानी शैवाल नामक रंग-बिरंगी वनस्पतियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं। अफ्रीका के हाथी समेत यहां अनेक प्रकार के पशु निवास करते हैं।
इस रेगिस्तान में मानव का वास नहीं है तथा वहां पर पहुंचना बहुत कठिन है। हालांकि इस रेगिस्तान का सैसरीम क्षेत्र वर्ष भर आबाद रहता है। इस रेगिस्तान में खनिज सम्पदा प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यहां से टंगस्टन, नमक तथा हीरा मुख्य रूप से निकाला जाता है।