सामान्य ज्ञान
भास तीसरी शताब्दी में भारत में संस्कृत के प्राचीनतम नाटककार हुए। जिनके संपूर्ण नाटक अआज भी उपलब्ध हैं। 1912 में एक भारतीय विद्वान ने भास के वे 13 नाटक खोजे और प्रकाशित किये जिनकी जानकारी उससे पहले अन्य प्राचीन संस्कृत नाटककारों की रचनाओं के उद्घरणों से मिलती थी।
स्वप्रवासवदत्तम वासवदत्ता का स्वप्र उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है। जिसमें एक राजा का राज्य किसी व्यक्ति द्वारा छीन जाने और दुबारा वापस पाने की कथा हैं। उनके अधिकांश नाटक दो महान प्राचीन महाकाव्यों रामायण और महाभारत से ली गई शौर्य और प्रेम की कहानियों के विलक्षण रूपांतर हैं भास ने परंपरा गत नाट्यशास्त्र से हटकर मंच पर युद्घ तथा हत्या के दृश्य भी दिखाये । पांचवी शताब्दी के महान नाटककार कालिदास की रचनाओं में भास का प्रभाव देखा जा सकता हैं । जिन्होंने भास के साहित्यिक भावो को सचेतन रूप से अपनाया और मांजा।