सामान्य ज्ञान
होयसल वंश के शासकों ने वास्तुशिल्प के मामले में चालुक्य शैली की परंपरा को सुरक्षित रखा। इसमें उन्होंने अपनी कुछ नई विशिष्टïताओं को भी शामिल किया गया। होयसल शैली के सर्वश्रेष्ठï उदाहरण हैं- हैलेविड (प्राचीन द्वारसमुद्र), वेलूर और सोमनाथपुर के होयसल मंदिर।
होयसल मंदिर चालुक्य मंदिर से अधिक अलंकृत होते हैं। अलंकरण में सेलखड़ी का प्रयोग अधिकता में किया गया। सेलखड़ी पत्थर की अपेक्षा नरम होता है, इसलिए इसमें ज्यादा कलात्मक तरीके से डिजाइन बनाए जा सकते हैं। धीरे -धीरे चालुक्य और होयसल शैली उत्तरी और द्रविड़ शैली से स्पष्ट अलग दिखने लगी। मंदिरों की बुनियादी रूपरेखा अब आयताकार न होकर तारे के आकार या फिर बहुभुजी होने लगी जिसके अंदर पूरा मंदिर होता था।
मंदिर का निर्माण ऊंचे चबूतरे पर किया जाता था। उनमें बुर्जियां नहीं होती थी। मंदिर की ऊंचाई भी कम हुआ करती थी। मंदिर के चारों ओर की दीवारों के बाहरी धरातल पर आलोकचित्रों की सजावट इस चपटेपन को और असरकार बनाते हैं। होयसल मंदिर की अन्य विशेषता उसके नाटे और मोटे खम्भे हैं, जो खराद से ढाले गए होते थे।