सामान्य ज्ञान

हाल के सालों में मधुमक्खियों के झुंड के झुंड खत्म होते जा रहे हैं। वैज्ञानिक पंद्रह साल से इस गुत्थी को सुलझाने में लगे रहे कि ऐसा क्यों हो रहा है। अब समझ आया है कि बीमारी की वजह से ऐसा हो रहा है। खेतों में इस्तेमाल होने वाले कुछ कीटनाशक मधुमक्खियों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। मधुमक्खियां दूसरी बीमारियों की तरह यूं ही नहीं मर जातीं, बल्कि पूरा का पूरा झुंड कमजोर होने लगता है और इसे कॉलोनी कोलेप्स डिसऑर्डर या सीसीडी कहते हैं। इसकी संभावित वजह बारोवा कीटाणु हैं, जो मधुमक्खियों के लारवा तक पहुंच जाते हैं। नतीजतन ऐसी मधुमक्खियां पैदा होती हैं, जो उड़ नहीं सकतीं और अकसर बीमार रहती हैं। सीसीडी के लक्षण के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है, लेकिन उसकी वजह का अभी भी पता नहीं लग पाया है।
मधुमक्खियां या दूसरी जंगली मक्खियां परागण में बड़ी भूमिका निभाती हैं। अगर ये उजड़ गईं तो इंसान के लिए अन्न और फल उगाना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि सीसीडी पर काबू पाने की कोशिश अमेरिका के साथ साथ यूरोप के कई देशों में भी चल रही है। वैसे जर्मनी में तो अब लोग शौकिया तौर पर भी मधुमक्खियां पाल रहे हैं। यहां करीब 500 तरह की मधुमक्खियां हैं।
मधुमक्खियों की आबादी कम होने की एक बड़ी वजह मोबाइल फोन के इस्तेमाल को माना जाता है। मोबाइल से निकलने वाले सिग्नल इनके लिए घातक साबित होते हैं ।