सामान्य ज्ञान
भारत की आजादी के लिए अगस्त का महीना तो अहम है ही, लेकिन करीब 150 साल पहले इस दिन ने भारत की किस्मत बदल दी थी। 2 अगस्त वर्ष 1858 को ब्रिटिश सरकार ने गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया।
1857 में मंगल पाण्डेय और उनके साथियों ने मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था। पूरे भारत में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों से परेशान जनता ने पहली बार एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने की ठानी। लेकिन भारत के शहंशाह बहादुर शाह जफर बूढ़े हो चुके थे और गदर में हिस्सा ले रहे विद्रोहियों को संगठित कर अंग्रेजों से लडऩे में उनका नेतृत्व कमजोर पड़ गया। ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोही सैनिकों पर हावी हो गए और विद्रोह को दबा दिया गया। ईस्ट इंडिया कंपनी के पास भारत की जिम्मेदारी थी और उसे ब्रिटिश संसद से ऐसा करने के लिए मान्यता मिली थी। 1858 में ब्रिटिश सरकार ने गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया। इसके तहत भारत ईस्ट इंडिया कंपनी की जागीर नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह ब्रिटिश रानी का उपनिवेश बन गया। यब सब 1857 के विद्रोहियों को शांत करने के लिए किया गया। ब्रिटिश सरकार ने माना कि भारत पर शासन में बहुत गलतियां हुईं और कहा कि ब्रिटिश रानी के अधिकार में आने से भारत की परेशानियां दूर हो जाएंगी।
इस कानून के तहत भारत के लिए रानी का एक खास सचिव नियुक्त किया जाना था जिसपर भारत देखने की जिम्मेदारी थी। रानी ने भारत के लिए एक गवर्नर जनरल भी नियुक्त किया। गवर्नर जनरल को भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मामलों पर फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया।