सामान्य ज्ञान

हेपेटाइटिस
04-Aug-2020 1:18 PM
हेपेटाइटिस

मौजूदा वक्त में दुनिया में लगभग 40 करोड़ लोग वायरल हेपेटाइटिस से पीडि़त हैं। लिवर की यह बीमारी एचआईवी, मलेरिया और टीबी से भी ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। हर साल हेपेटाइटिस से 10.4 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। लेकिन सावधानी बरत कर हेपेटाइटिस को रोका जा सकता है।

वर्ष 2014 की वल्र्ड हेल्थ असेम्बली में 194 सरकारों ने वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम, जांच और इलाज के मसले को हल करने के लिए वैश्विक स्तर पर जागरुकता फैलाने पर अपनी सहमति दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  हेपेटाइटिस-बी और सी को खत्म करने के लिए वैश्विक योजना बनाई है। हेपेटाइटिस-सी से लोगों के लिवर खराब होने का खतरा होता है।

एक अध्ययन के मुताबिक, हेपेटाइटिस-सी का संक्रमण फैल कर दिल के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है। अध्ययन इस बात के मजबूत प्रमाण देते हैं कि हेपेटाइटिस-सी से दिल की प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय से हेपेटाइटिस-सी से पीडि़त लोगों की रक्त धमनियों में चर्बी और कैल्शियम जम सकता है।  जो दिल के दौरे और स्ट्रोक की शुरुआत है। इस बात के कारण का तो पता नहीं है कि संक्रमण से धमनियों में जमाव क्यों होने लगता है, लेकिन इस बात के प्रमाण काफी मजबूत हैं कि हेपेटाइटिस-सी के मरीजों में दिल के रोगों संबंधी लक्षणों की जांच होनी चाहिए।

हेपेटाइटिस-सी रक्त के जरिए फैलने वाले वायरस से होने वाला संक्रमण है, जिसकी गंभीरता कई सप्ताह से लेकर जीवनभर तक रह सकती है। असुरक्षित सुई, मेडिकल उपकरणों के उचित स्टेरलाइजेशन न होने और बिना जांच के रक्त या रक्त तत्व चढ़ाने से हेपेटाइटिस सी हो सकता है। इससे पीडि़त लोगों को लिवर सिरोसेस या लीवर कैंसर हो सकता है। वैसे तो 90 प्रतिशत मामलों में इस संक्रमण का इलाज ऐंटी-वायरल दवाओं से हो सकता है, लेकिन हेपेटाइटिस-सी का कोई वैक्सीन नहीं है।

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