सामान्य ज्ञान
दक्षिणी भारत के पश्चिमी घाट में जीव वैज्ञानिकों ने ‘डांसिंग फ्रॉग’ की 14 नई प्रजातिओं की खोज की है। इन छोटे कलाबाजी युक्त उभयचर मेंढकों को भारतीय जीव वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया है। भारतीय ‘डांसिंग फ्रॉग’ को वैज्ञानिक रूप से मिक्रिक्सालिडे के रूप में जाना जाता है और उनका परिवार एक ही जीनस मिक्रिक्सालुस में शामिल हैं। इन मेंढकों को यह नाम प्रजनन मौसम में नर क्लिक करें मेंढक द्वारा विशेष प्रकार से पैर झटकने के तरीक़े के कारण दिया गया है।
अन्य ‘डांसिंग फ्रॉग’ की प्रजातियां मध्य अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। भारतीय ‘डांसिंग फ्रॉग’ परिवार 85 मिलियन वर्षों पहले विकसित हुआ। आणविक डीएनए मार्कर और रूपात्मक वर्णन का उपयोग करके इनकी पहचान की गई हैं। जीव वैज्ञानिकों के अनुसार ये वार्षिक मानसून के बाद तीव्र धाराओं में प्रजनन करते हैं। उनका आकार एक कारण है की जब धारा का स्तर नीचे चला जाता है तभी प्रजनन होता हैं। नदियों का जल जब सूख जाता हैं तब मामला विलोमत: है ऐसी स्थिति में वे प्रजनन के लिए सही स्थान में नहीं रहते हैं। ये मेंढक आकार में छोटे हैं और एक अखरोट से बड़े नहीं होते हैं और वे पहाड़ धारा द्वारा आसानी से बहा लिए जाते हंै। जीववैज्ञानिकों ने पहचान की हैं की उनका आवास स्थल तेजी से सूख रहा हैं। इन नई प्रजातिओं की खोज का अध्ययन सीलोन जर्नल ऑफ़ साइंस पत्रिका में 8 मई 2014 प्रकाशित हुआ था। इस खोज ने पहचाने गए भारतीय ‘डांसिंग फ्रॉग’ की संख्या को 24 तक पहुंचा दिया हैं। नृत्य केवल नर मेंढक द्वारा किया जाता है, नृत्य प्रजनन के लिए किये गए अद्वितीय व्यवहार का हिस्सा हैं जिसको ‘फुट फ्लैगिंग’ कहा जाता हैं। फुट फ्लैगिंग में नर मेंढक अपने पैर खींचते और झटकते हैं तथा यह गतिविधि मादा का ध्यान आकर्षित करने के लिए की जाती है।
भारतीय ‘डांसिंग फ्रॉग’ परिवार 85 मिलियन वर्षों पहले विकसित हुअ। भारतीय ‘डांसिंग फ्रॉग’ को वैज्ञानिक रूप से मिक्रिक्सालिडे के रूप में जाना जाता है और उनका परिवार एक ही जीनस मिक्रिक्सालुस में शामिल है।