सामान्य ज्ञान
डेल्टा प्राय: उस भूभाग को कहा जाता है, जो नदी द्वारा लाए गए अवसादों के संचयन से निर्मित हाता है। विशेषत: नदी के मुहाने पर, जहां वह किसी समुद्र अथवा झील में गिरती है। इस भूभाग का आकार साधारणत: त्रिभुज जैसा होता है।
डेल्टा का निर्माण तथा इसका विस्तार मुख्यत: सागर अथवा झील में प्रवाहित धाराओं के वेग पर निर्भर है। वेगवती धाराएं अथवा ऊंचे ज्वार, जो नदी द्वारा एकत्रित अवसादों को तट से दूर ले जाते हैं, डेल्टा निर्माण में बाधक होते हैं और लंबे तटीय द्वीपों, बलुई भित्ति या बलुई संलग्न भित्ति का निर्माण करते हैं अथवा अवसादों को सागर नितल पर फैला देते हैं। इसके विपरीत धाराओं एवं ज्वारों की क्षीणता डेल्टा निर्माण में सहायक है। नदी द्वारा लाए गए अवसादों का बाहूल्य भी महत्वपूर्ण सहायक दशा है। ज्वार रहित रूम सागर तथा मेक्सिकों की खाड़ी में डेल्टा की प्रचुरता है। समुद्र तट के धंसने से भी डेल्टा निर्माण में बाधा तथा खुले मुहानों के निर्माण में सहायता मिलती है।
नील नदी का डेल्टा इसका सुंदर उदाहरण है। जब कोई पहाड़ी नदी समतल मैदानी अथवा पठारी प्रदेश में पहुंचती है तो जल के वेग में आकस्मिक क्षीणता के कारण भी पर्वत पाद पर अवसादों के कुछ भाग का निक्षेपण होता है। ये निक्षेप साधारणत: त्रिभुजाकार होते हैं। इन्हें जलौढ़ पंखा , शंकु डेल्टा अथवा पंखा डेल्टा कहते हैं।