सामान्य ज्ञान

अष्टछाप
19-Nov-2020 1:14 PM
अष्टछाप

हिन्दी साहित्य में कृष्णभक्ति काव्य की प्रेरणा देने का श्रेय श्री वल्लभाचार्य (1478 ई.-1530 ई,) को जाता है, जो पुष्टिमार्ग के संस्थापक और प्रवर्तक थे। इनके द्वारा पुष्टिमार्ग में दीक्षित होकर सूरदास आदि आठ कवियों की मंडली ने अत्यन्त महत्त्वपूर्ण साहित्य की रचना की थी। गोस्वामी बि_लनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता वल्लभ के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे- कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास और कृष्णदास।

अन्य चार गोस्वामी बि_लनाथ के शिष्य थे -  गोविंदस्वामी, नंददास, छीतस्वामी और चतुर्भुजदास।

 ये आठों भक्त कवि श्रीनाथजी के मन्दिर की नित्य लीला में भगवान श्रीकृष्ण के सखा के रूप में सदैव उनके साथ रहते थे, इस रूप में इन्हें  अष्टसखा की संज्ञा से जाना जाता है।

अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ कुम्भनदास थे और सबसे कनिष्ठ नंददास थे।   काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान सूरदास का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है। सूरदास पुष्टिमार्ग के नायक कहे जाते है। ये वात्सल्य रस एवं शृंगार रस के अप्रतिम चितेरे माने जाते हैं। इनकी महत्वपूर्ण रचना  सूरसागर मानी जाती है।  नंददास काव्य सौष्ठव एवं भाषा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में  रासपंचाध्यायी , भवरगीत  एवं  सिन्धांतपंचाध्यायी  है।

परमानंद दास के पदों का संग्रह परमानन्द-सागर है। कृष्णदास की रचनाएं भ्रमरगीत एवं  प्रेमतत्व निरूपण  है।

कुम्भनदास के केवल फुटकर पद पाए जाते हैं। इनका कोई ग्रन्थ नहीं हैं।   छीतस्वामी एवं गोविंदस्वामी का कोई ग्रन्थ नही मिलता। चतुर्भुजदास की भाषा प्रांजलता महत्वपूर्ण है। इनकी रचना द्वादश-यश, भक्ति-प्रताप आदि है।

सम्पूर्ण भक्तिकाल में किसी आचार्य द्वारा कवियों, गायकों तथा कीर्तनकारों के संगठित मंडल का उल्लेख नही मिलता। अष्टछाप जैसा मंडल आधुनिक काल में भारतेंदु मंडल, रसिकमंडल, मतवाला मंडल, परिमल तथा प्रगतिशील लेखक संघ और जनवादी लेखक संघ के रूप में उभर कर आए।  अष्टछाप के आठों भक्त-कवि समकालीन थे। इनका प्रभाव लगभग 84 वर्ष तक रहा। ये सभी श्रेष्ठ कलाकार,संगीतज्ञ एवं कीर्तनकार थे।   गोस्वामी बि_लनाथ ने इन अष्ट भक्त कवियों पर अपने आशीर्वाद की छाप लगायी, अत: इनका नाम  अष्टछाप  पड़ा।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news