सामान्य ज्ञान
ध्वजा का प्रयोग भारत में प्राचीन काल से होता रहा है। ऋग्वेद में ध्वजा का वर्णन है। ध्वजा के कई पर्याय मिलते हैं-क्रतध्वज, श्वेतकेतु, वृहदकेतु, सहस्रकेतु आदि। युद्ध में ध्वजा का छिन जाना या गिर जाना पराजय का चिन्ह माना जाता था। महाभारत से मालूम होता है कि उस समय झंडों पर इस प्रकार के चिन्ह होते थे- कपि, सिंह की दुम, भाला, बैल , मयूर, सूर्य, चंद्र, नाग , गरुड़ आदि। इससे ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत में किसी एक ध्वज को सर्वमान्य नहीं माना जाता था।
आधुनिक भारत का पहला राष्टï्रीय ध्वज आजादी के पहले कलकत्ता (अब कोलकाता) में फहराया गया था। वर्तमान राष्टï्रीय ध्वज को 1931 ईं. में गांधीजी की प्रेरणा से आकार मिला और उसकी बीच की सफेद पट्टïी में चरखे का चिन्ह अंकित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्त होने पर 22 जुलाई, 1947 को इसे भारतीय गणराज्य का राष्टï्रीय ध्वज स्वीकार किया गया और इसकी पट्टिïयों के बीच में चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को जगह दी गई।