सामान्य ज्ञान
विश्व की सबसे बड़ी दूरबीन-‘मेस’ लद्दाख में हानले में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थापित की जा रही है। रूस के वैज्ञानिक सेरेनकोव के नाम पर बनने वाली यह दूरबीन मेजर एटमॉसफेरिक सेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप यानी एमएसीई (मेस) का निर्माण इलेक्ट्रोनिक कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में किया जा रहा है। हैदराबाद में निर्माण के बाद इसकी अंतिम एसेंबली हानले की भारतीय वेधशाला के परिसर में की जाएगी। इसका संचालन दूर से किया जाएगा और यह सौर ऊर्जा से संचालित होगी।
रूसी वैज्ञानिक सेरेनकोव ने अपने वायुमंडल के प्रयोगों के बाद भविष्यवाणी की थी कि किसी माध्यम में तेज गति से चल रहे आवेशित कण प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। यह दूरबीन उपग्रह और परंपरागत सेरेनकोव प्रयोगों के बीच गामा किरणों के ऊर्जा क्षेत्र की खोज करने में सहायक होगी। आकाशगंगाओं के केंद्र अथवा ब्लैक होल से उत्सर्जित अत्यधिक ऊर्जा वाली गामा किरणों के पुच्छल तारे जैसे पिंड वायुमंडल में ही समा जाते हैं और धरती पर नहीं पहुंच पाते। लेकिन जब ये किरणें वायुमंडल के संपर्क में आती हैं, तो फोटोन से इलेक्ट्रोन-पॉजिट्रोन के जोड़े निकलते हैं और कणों की बौछार होती है। जब ये कण तेज गति से वायुमंडल में चलते हैं, तो सेरेनकोव विकिरण प्रकाश पैदा होता है। वायुमंडल में कितनी गामा किरणें पहुंचती हैं, इसका अनुमान नीले और अल्ट्रा-वायलेट सेरेनकोव प्रकाश से लगाया जाता है।
ब्रहमांड में गामा किरणें अत्यधिक ऊर्जा वाली प्रक्रियाएं हैं। इनके अध्ययन से हमें ब्लैक होल, सघन वस्तुओं, डार्क मैटर और उच्च गुरूत्वाकर्षण वाले क्षेत्रों के पास उच्च ऊर्जा भौतिकी को समझने में सहायता मिलेगी।
मंडल आयोग
भारत में मण्डल आयोग सन 1979 में तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इस आयोग का कार्य क्षेत्र सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ों की पहचान कराना था। श्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल इसके अध्यक्ष थे।