सामान्य ज्ञान
ब्राम्हणी (अंग्रेज़ी-Bacapa monnieri) का एक पौधा होता है जो भूमि पर फैलकर बड़ा होता है। इसके तने और पत्तियां मुलामय, गूदेदार और फूल सफेद होते है ।
यह पौधा नम स्थानों में पाया जाता है, तथा मुख्यत: भारत ही इसकी उपज भूमि है। इसे भारत वर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे हिन्दी में सफेद चमनी, संस्कृत में सौम्यलता, मलयालम में वर्ण, नीरब्राम्ही, मराठी में घोल, गुजराती में जल ब्राह्मïी, जल नेवरी आदि। इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी है।
यह पूर्ण रूपेण औषधि पौधा है। यह औषधि नाडिय़ों के लिये पौष्टिक होती है। कब्ज को दूर करती है। इसके पत्ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर करती है। ब्राह्मी में रक्त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते हंै। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है।
प्रघाती तरंगे
जब किसी पिण्ड की वायु में चाल, ध्वनि की चाल से अधिक होती है, तब पिण्ड की चाल पराध्वनिक कहलाती है। इस दशा में पिण्ड अपने पीछे हलचल का एक शंकु के आकार का क्षेत्र छोड़ता जाता है, जो बराबर फैलता जाता है। इस प्रकार की हलचल को प्रघाती तरंग कहते हैं।
इन तरंगों में अत्यधिक ऊर्जा होती है। यदि ऐसी तरंगे किसी भवन से टकरा जाएं तो उसे क्षति पहुंचा सकती हैं। यही कारण है कि जब किसी भव के ऊपर से पराध्वनिक वायुयान गुजरता है अथवा भवन से दूर वायु में कोई तीव विस्फोट होता है, तो इनसे उत्पन्न प्रघाती तरंग के प्रभाव से कभी-कभी भवन की खिड़कियों के कांच टूट जाते हैं।