बेमेतरा

तिरंगा बनाकर हाथ में लिया, तब सुरक्षित निकल पाये...
10-Mar-2022 3:18 PM
तिरंगा बनाकर हाथ में लिया, तब सुरक्षित निकल पाये...

यूक्रेन से लौटे जिले के 4 छात्रों ने बताया, कैसी हुई वतन में वापसी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 10 मार्च।
यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों ने अपने वतन लौटने पर जमीन केा चुमकर लिया आशीर्वाद, कहा हमें विश्वास था कि हमारी वापसी होगी। जिले के चार युवक को यूक्रेन के अलग-अलग मेडिकल युनिवर्सिंटी में रहकर एमबीबीएस की पढाई कर रहे थे। वे सरकारी मदद से सकुशल लौट आये है। 16 फरवरी से रूस की हमले की संभवना बनती जा रही थी। भारतीय दुतावास सेे 22 फरवरी से युके्रेन और रूस के बीच बिगड़े हालतो के बाद नोटिस जारी किया गया। इसके बाद जब 24 फरवरी केा क्युब पर हमला हुआ तो ज़ैपोरजिय़ा स्टेट मेडीकल युनिर्वसीटी में पढऩे वाले मेडिकल छात्रों को सुरक्षा के लिहाज से बंकर में रखा गया था, जहां से उन्हें कुछ समय ही अपने कमरे में आने के लिए मिल पाता पर जब सायरन की आवाज आति सभी जैसे है वैसे ही हालत में वापस बंकर में आज जाते। जिले के चार युवक यूक्रेन में एमबीबीएस के लिए गये थे, जिसमे बेमेतरा नयापारा रोशन साहू, मोहभटठा रोड निवासी कलश द्विवेदी, ग्राम भटगाव निवासी जितेन्द्र सेन और ग्राम तिवरैया निवासी सत्य प्रकाश साहू सभी की वापसी हो चुकी है। सभी छात्रों से संपर्क कर हालत और स्थिती का समाना कर लौटेने वालों से चर्चा किया गया।  

युवा रोशन साहू ने बताया कि वो राजधानी से 400 किलोमीटर दूर ज़ैपोरजिय़ा स्टेट मेडीकल युनिवर्सिटी के कैम्प्स में थे पर जब क्युब में हमला हुआ तो फिर उनके साथ करीब 1300 मेडिकल छात्रों को बंकर में रखा गया था। जहां पर जैसे-तैसे समय काट रहे थे।  इसके बाद सभी को बस से युजोफोर्ट ले जाया गया। इस दैारान ट्रेन की लाईट बंद रख गया वहीं अंदर पर कुछ भी रोशनी करने की मनाही कर दिया गया, लगभग 1300 किलोमीटर की यात्रा 2 दिन में करने के बाद वो चैाक बार्डर से बुडापोस्ट पहुंचे थे। इस बीच की दूरी 4 घंटे लगे। स्थानीय लोगों ने फुड पैकेट, केक, और अन्य खाने की चीजे देकर रवाना किया। उन्हें भारतीय दुतावास द्वारा होटल में रखा गया था। दो दिन इंतजार करने के बाद वो वापस वतन लौट पाए। जिसके बाद छत्तीसगढ़ सदन में रूके थे।

रोशन साहू ने बताया कि हम सभी ने पेंट कर तिंरगा झंडा बनाया था, जिसे साथ रखते थे। हमारे आलावा दुसरे देश के भी विद्यार्थी भी तिरंगा के पनाह में रहते थे। कई जगहो पर हमे तिंरगा भेट किया गया, जिससे हम सुरक्षित निकल कर आ पाये। हमें पुरी तरह विश्वास था कि हमें बचा लिया जायेगा और हम सकुशल आ पाये। यूक्रेन के हालत को लेकर रोशन के पिता नेतराम, माँ रेखा साहू व बहन दुर्गा बताती है कि जब से युद्ध प्रारंभ हुआ था तब से रोशन को लेकर चितिंत थे जब वतन वापस आया तब राहत मिली।

ग्राम तिवरैया निवासी युवक सत्यप्रकाश साहू भी सकुशल देश लौट आया है। सत्यप्रकाश के पिता मोहन साहू ने बताया कि बार्डर के पास ही कैम्पस में सत्यप्रकाश की मेडिकल यूनिवर्सिटी थी। जहाँ पर दीगर क्षेत्र की तरह हालात खराब नही थे। स्थिति को देखते हुए सत्यप्रकाश को एक सेमेस्टर होने के बाद दूसरे सेमेस्टर की शुरुआती दौर में ही वापस आने के लिए कहा गया और वह वापस आया है।

खाना-पानी की हुई दिक्कत
ब्राह्मण पारा निवासी कलश द्विवेदी ने बताया कि यूक्रेन में हालात बहुत बेकार है। बंकर में सभी को रखा गया था। वहां पर पानी और खाने की बहुत दिक्कत थी। जिस ट्रेन से चेकपोस्ट पहुँचाया गया था उसमें क्षमता से कई गुना अधिक यात्री थे। 12 घंटे से अधिक समय तक माईनस डिग्री ठंड के बीच लाइन लगने के बाद ट्रेन मिल पाया था। हमे हंगरी में रहने वाले भारतीयों व स्थानीय लोगो की मदद मिली। जिसके बाद जब हम भारतीय दूतावास जैसे-तैसे कर दो दिन कांटे फिर वापसी के लिए रवाना हुए। कलश की माँ तरुण लता द्विवेदी बताती है कि यूक्रेन में बिगड़ते हालात के बीच दिनभर बेटे की चिंता लगी रहती थी। बार-बार फोन पर बात करते थे। पिता शुभादित्य द्विवेदी ने बताया कि वहां पर बेटे को हो रही दिक्कत और हालत की खबर को जानने के बाद वापस आने तक दिन बिताना भारी पड़ रहा था।

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