महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 13 जनवरी। बागबाहरा जनपद अध्यक्ष स्मिता चंद्राकर एवं सिकासेर सिंचाई परियोजना के सूत्रधार एवं खेती बचाव आंदोलन के नेतृत्वकर्ता हितेश चंद्राकर ने ग्राम खोपाली में बैठक कर किसानों को संगठित करने अभियान की शुरुआत की है। श्री चंद्राकर ने किसानों को सिकासेर परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 198 मिलियन घन मीटर भराव क्षमता एवं 2 लाख एकड़ सिंचाई क्षमता के सिकसेर बांध से प्रत्येक वर्ष 20 गुना अधिक पानी पैरी नदी में छोड़ जाता है।
इस अतिरिक्त पानी के लिए मात्र नहर निर्माण कर लाया जाए तो नहर छुरा ब्लॉक के पिपरछेड़ी होते हुए बागबाहरा ब्लॉक के टेका में प्रवेश करेगा। इससे खल्लारी, महासमुंद एवं पिथौरा ब्लॉक के एक-एक खेत को सिंचाई के साथ चरोदा एवं कोडार बांध के साथ छोटे-बड़े सभी तलाब बांध को लबालब भरा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग गरियाबंद द्वारा गंगरेल इंफ्राास्ट्रक्चर कंपनी से प्रस्तावित नहर का ड्राइंग डिजाइन एवं बुकलेट बनवाकर शासन के समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं। वर्तमान राज्य सरकार का कार्यकाल 4 वर्ष पूर्ण हो चुका है, लेकिन अभी तक बजट में यह परियोजना नहीं जुड़ पाया है। राज्य सरकार का आगामी मार्च माह में अंतिम बजट प्रस्तुत करेगा। जिसमें परियोजना को शामिल कराने के लिए अब किसानों को संगठित होकर,पूरे क्षेत्र में अगर कोई एक समस्या है वह है पानी व सूखा अकाल का। इसका समाधान सिकासेर बांध के अतिरिक्त पानी को लाकर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इसी बात जिसे सरकार को अवगत कराते हुए आगामी बजट में जोडक़र राशि प्रधान करने आग्रह किया जाना चाहिए। बैठक में ग्राम सरपंच रमन वर्मा, दिनेश चंद्राकर, छन्नू घृतलहरे, बलदाऊ वर्मा,जगमोहन चंद्राकर, धन्नू घृतलहरे, देवशरण चंद्राकर,शिव चंद्राकर, दुकेश्वर साहू, धरम बंजारे, अभय राम साहू, भोला पटेल, हेमनारायण चंद्राकर, भूषण चंद्राकर, घनश्याम सिन्हा, हीराधर साहू, चेतराम साहू, गणेश यादव, राजू टेकर, पलटन यादव, लीला राम, सदानंद ठाकुर, पुराणिक साहू, जीवरखन घृतलहरे, भागवत वर्मा, राजकुमार सोनी, रामेश्वर घृतलहरे, संतोष चंद्राकर आदि किसानों ने एक स्वर में कहा कि प्रस्तावित सिकासेर नहर परियोजना से हमारा जीवन और मरण का सवाल है। इसके लिए गांव के सभी किसानों ने आंदोलन में हिस्सा लेकर संघर्ष करने की बात कही।