धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 28 फरवरी। प्रशासनिक उदासीनता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में किसान जाने अनजाने में खेत की मेड़ में लगे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर पर्यावरण को व्यापक नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके रोकथाम को लेकर जंगल, पंचायत एवं राजस्व विभाग एक-दूसरे का मुंह ताक रहे हैं।
ज्ञात हो कि एक ओर विकास के नाम पर सडक़ एवं दूसरे निर्माण कार्य के लिए हरे-भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। दूसरी ओर जंगल विभाग द्वारा पौधारोपण कर पर्यावरण की बिगड़ती सेहत को काबू में रखने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में खेत के मेड़ में लगे बड़े-बड़े वृक्ष को धराशायी किया जा रहा है। इसके अलावा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने के इरादे से असामाजिक तत्वों द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई धड़ल्ले से जारी है। गांव -गांव में पेट्रोल से चलने वाली हाथ मशीन की मदद से बेधडक़ पेड़ काटे जा रहे हैं। जिससे क्षेत्र में पर्यावरण की स्थिति बिगडऩे लगी है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि कुछ महीने पहले कुरूद विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत परखंदा के सरपंच शत्रुहन बारले ने वन, राजस्व एवं पुलिस विभाग को लिखित शिकायत कर बताया कि महानदी तट पर खसरा क्रमांक 2221, 1593 रकबा 8.27, 41.03 हेक्टेयर क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2009-10 के पूर्व सामाजिक वानिकी वन मंडल रायपुर द्वारा मिश्रित प्रजाति का वृक्षारोपण किया गया था। इतने वर्षों में तैयार हो चुके पेड़ों को बिना पंचायत प्रस्ताव के कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से कटवाया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र में हो रही कटाई के बारे में पूछने पर सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी ऐरावत सिंह मधुकर ने बताया कि यह मामला पंचायत एवं राजस्व विभाग का है। वन विभाग इसमें सीधे तौर पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है।