धमतरी
![फसल चक्र परिवर्तन जरूरी-सुषमा फसल चक्र परिवर्तन जरूरी-सुषमा](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1721642879004.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 22 जुलाई। ग्राम पंचायत पोटियाडीह में कृषि विभाग द्वारा मृदा स्वास्थ्य परीक्षण जागरूकता अभियान अंतर्गत कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें कृषि कार्यों से संबंधित मृदा संरचना के बारे में बताया गया।
संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरक का उपयोग कितना अहम एवं आवश्यक है,मृदा परीक्षण उपरांत प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने पर जोर दिया गया ,वहीं फ़सल चक्र परिवर्तन से कीट व्याधि नियंत्रण तथा भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की संभावनाओं पर भी विस्तार से जानकारी दी गई। किसानों को बताया गया की धान के बाद धान की फसल लेने से कीटों में दवाइयों के प्रति सहन शक्ति में वृद्धि हो जाती है जिससे दवाओं से कीट नियंत्रण नहीं हो पाता। जिसका निदान कृषि पद्धति को परिवर्तन करके अर्थात फसल चक्र परिवर्तन ही विकल्प है। अत्यधिक मात्रा में रसायनों का उपयोग एवं कीटनाशकों का उपयोग से भूमि, जल एवं पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालता है।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सुषमा साहू ने बताया कि ग्रीष्मकालीन धान की फसल ना लेकर कम पानी चाहने वाले फसल अपना कर जलसंकट से बचा जा सकता है। जल संकट आने वाले पीढिय़ों के लिए बहुत बड़ा चुनौती होगा। कृषि विकास अधिकारी प्रहलाद नागवंशी ने किसानों को बताया कि रागी, कोदो या अन्य लघु धान्य को आहार में शामिल करने से कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती है जैसे शुगर, बी.पी.। इसके इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस कार्यक्रम में उपस्थित भेदू प्रसाद साहू जो पर्यावरण समाज सेवी हैं ,ने किसानों को समझाया कि हर एक किसान को बाड़ी में विभिन्न पांच पेड़ फलदार या छायादार अवश्य लगाएं जो पर्यावरण संतुलन बनाएं रखने के जरूरी एवम आवश्यक है। पर्यावरण संतुलन से ही तापमान कम होना एवं किसानों के लिए खेती कार्य हेतु वर्षा समय पर हो , सुनिश्चित होती है।पर्यावरण संतुलन नहीं होने से खेती के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाली सभी जीवों जिसमें मानव जीवन भी शामिल है, पर बुरा प्रभाव पड़ता है, भविष्य में अच्छे जीवन की कल्पना नहीं किया जा सकता। कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री नागवंशी ने शासन द्वारा संचालित कृषि विभाग के समस्त योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिया।इस कार्यक्रम से प्रभावित किसान ईश्वर लाल देवांगन ने रबी में 10 एकड़ की खेत में धान की जगह धान न लगाकर मक्का फसल लगाने हेतु संकल्प किया। कृषक रामा साहू ,चतुर साहू, विक्रम साहू ,दिलीप साहू आदि किसानों ने भी दलहन तिलहन अपनाने की बात कही।