महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 31 मार्च। लोकसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख दल भाजपा कांग्रेस अपने-अपने पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए जुटे हुए हैं और प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में दोनों ही दलों के प्रत्याशी धुंआधार जनसम्पर्क कर रहे हैं।
भाजपा है कि प्रवेश करने वाले काग्रेस नेताओं के कारण उत्साहित है। लेकिन पार्टी छोडक़र भाजपा प्रवेश कर रहे नेताओं को लेकर कांग्रेस में कोई भी चिंतित दिखाई नहीं दे रहे हैं। बल्कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार में जुटी है। भाजपा मोदी के चेहरे पर और कांग्रेस जातिगत मुद्दों के साथ मैदान में हैै। भाजपा में भी यही खेल चल रहा है। इनमें से भी कई लोग कांग्रेस प्रवेश कर रहे हैं। यह काम दोनों ही दलों में तेजी से रोजाना जारी है। इस बार का लोकसभा चुनाव भी बीते अन्य चुनावों की तरह ही है। दोनों ही दलों के कार्यकर्ता अपने नेताओं से संतुष्ट नहीं है।
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े चुनाव में महासमुंद लोकसभा हमेशा ही हाई प्रोफाइल सीट रही है। इस बार भी प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू व भाजपा सरकार की पूर्व संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी आमने-सामने चुनाव मैदान में हैं।
कांग्रेस अभी 100 दिन पहले तक प्रदेश की सत्ता में थी और भाजपा अभी प्रदेश के साथ केंद्र की सत्ता में भी काबिज है। भाजपा पूर्व में भी लगातार 15 वर्षों तक डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में सरकार चला चुकी है। इतने लंबे समय तक प्रदेश में सरकार चलाने व वर्तमान में आदिवासी मुख्यमंत्री नियुक्त करने के बावजूद यह चुनाव प्रदेश स्तर के नेताओं को दरकिनार कर भाजपा मोदी के चेहरे पर लड़ रही है। जबकि कांग्रेस जातिगत समीकरण के अनुसार चुनावी मैदान में है। जिले में काफी समय से भाजपा बढ़त लेती आई है, पर इस बार संपन्न विधानसभा चुनाव में जिले की चार सीटों में भाजपा महासमुंद व बसना सीट ही जीत पाई। सरायपाली व खल्लारी सौट भारी अंतर से कांग्रेस ने जीती है।
भाजपा में जिस तरह रातों रात लोकप्रिय मुख्यमंत्री हो या संगठन पदाधिकारी, उन्हें बदल दिया जाता है। ठीक इसी तर्ज पर भाजपा इस लोकसभा चुनाव में करती दिख रही है। पूरे लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी से लगभग अलग कर उन्हें नई जिम्मेदारी के आश्वासन के साथ कांग्रेस से आए हुए नवप्रवेशी भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मान बढ़ाने का काम जारी है। इससे भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता नाराज हैं।
भाजपा के कद्दावर हैं कि उन्हें मोदी के चेहरे पर इतना ज्यादा भरोसा है कि वे पुराने व वरिष्ठ नेताओं की भी परवाह नहीं करते हुए सुनियोजित चुनाव की तैयारियों में जुटे हंै। तैयारी चाहे जैसी भी हो लेकिन इस बार अजीत जोगी और विद्याचरण शुक्ल जैसी उम्मीदवारी देखने के लिए नहीं मिल रही है। भाजपाई मतदाताओं से अपील कर रहे हैं-मोदी को जिताना है। कांग्रेसी कह रहे हैं संविधान बचाना है। संविधान और मोदी के मुद्दे के बीच का रहस्य मतदाताओं की समझ से बाहर है।