राजनांदगांव
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 जून। दो दिन बाद 26 जून से स्कूलों के पट खुल जाएंगे। निजी और सरकारी स्कूलों में नए शिक्षण सत्र को लेकर तैयारी अंतिम दौर में है। सरकारी और गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नए विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए शाला प्रवेशोत्सव भी मनाया जाएगा। इस साल भीषण गर्मी पडऩे के चलते राज्य सरकार ने 18 जून के बजाय 26 जून से स्कूल प्रारंभ करने के आदेश जारी किए थे। एक मई से सरकार ने ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया था।
स्कूलों में दाखिले का दौर चल रहा है। कुछ निजी स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया समाप्त हो गई है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के प्रवेश का सिलसिला स्कूल खुलने के बाद और तेज होगा। ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान स्कूलों में गिनती के नए दाखिले हुए हैं। निजी स्कूलों में एडमिशन को लेकर काफी प्रतिस्पर्धा है। नए विद्यार्थियों को फीस से लेकर अन्य शैक्षणिक सुविधा देने में रियायत देने के ऑफर भी हैं। इस बीच नए शैक्षणिक सत्र की पुस्तकें और गणवेश के दाम भी बढ़ गए हैं। गत् वर्ष की तुलना में 10 से 12 फीसदी बढ़ोत्तरी की गई है।
निजी स्कूलों ने गणवेश के लिए शहर के कुछ मुख्य प्रतिष्ठानों को अधिकृत किया है। वहीं किताबों की खरीदी के लिए भी अलग-अलग स्कूलों ने बुक डिपो तय कर दी है। बताया जा रहा है कि गणवेश और पाठयपुस्तक खरीदी करने के दौरान छूट देने से बुक डिपो संचालकों ने हाथ खड़ा कर दिया है। यानी पाठ्यपुस्तक से लेकर गणवेश खरीदी के दौरान पालकों को कोई राहत नहीं मिल रही है।
शहर के बड़े बुक डिपो संचालकों ने सीधे प्रकाशकों से संपर्क किया है। इस साल लगभग 170 दिन अध्यापन का कार्य होगा। सरकारी अवकाशों की भरमार होने के कारण विद्यार्थियों को तालीम हासिल करने के लिए गत् वर्ष की तुलना में कम समय मिलेगा। ऐसे में पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत करनी होगी।
सीबीएसई और एनसीआरटी की किताबें हुई महंगी
सीबीएसई और एनसीआरटी की पुस्तकों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। सीबीएसई प्रतिवर्ष पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन करता रहा है। इस साल भी पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए गए हैं। सीबीएसई अधिकृत स्कूलों में पुस्तकों की खरीदी के लिए विद्यार्थियों को पहले से ही निर्देश दे दिए गएहैं। स्कूल के शुरूआत होते ही सभी पुस्तकों के साथ विद्यार्थियों को कक्षा में हाजिर होना पड़ेगा। एनसीआरटी की पुस्तकें भी महंगी हो गई है। पिछले कुछ सालों से लगातार पुस्तकों के दाम बढ़ते चले गए हैं।
यही कारण है कि निजी और सरकारी स्कूलों में शिक्षा महंगी होती चली गई है। हालांकि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पात्र विद्यार्थियों को फायदा मिल रहा है, लेकिन इस नीति का लाभ नहीं उठाने वाले विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई भारी पड़ रही है।