महासमुन्द

नए कानूनों की जानकारी आवश्यक-कलेक्टर
30-Jun-2024 9:47 PM
नए कानूनों की जानकारी आवश्यक-कलेक्टर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 30 जून।
कलेक्टर प्रभात मलिक ने कल जिला पंचायत के सभाकक्ष में जिला अधिकारियों एवं पुलिस को नवीन कानूनों के संबंध में जागरूकता हेतु जानकारी दी। कलेक्टर श्री मलिक ने कहा कि 01 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावी होंगे।

उन्होंने कहा कि पुराने कानून को प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया गया है। इस बदलाव से दण्ड से न्याय की ओर की भावना को ध्यान में रखते हुए सबके मानव अधिकारों का भी ध्यान रखा गया है। नए कानूनों के संबंध में हम सबको जानकारी आवश्यक है ताकि आवश्यकता पडऩे पर इसकी भलीभांति समझ हो। उन्होंने कहा कि प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया गया है। पीडि़त पक्ष को ध्यान में रखा गया है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है। इससे सभी नागरिकों को लाभ मिलेगा। दोषी अपराधियों को सजा जल्दी मिलेगी। जिससे समाज में एक अच्छा प्रभाव एवं परिवर्तन दिखाई देगा। पीडि़त पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सकें। इसके लिए लगातार जानकारी दी जा रही है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिभा पांडेय ने बताया कि कानूनों में एकरूपता लाने के लिए नया कानून लाया गया है। 7 वर्ष से ज्यादा सजा की अवधि के अपराधों में न्याय दल गठित किया जाएगा तथा साक्ष्य एकत्रित करने के बाद विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। 

कार्यशाला में उप संचालक लोक अभियोजन आशीष कुमार सिन्हा एवं सहायक संचालक लोक अभियोजन घनश्याम पांडेय ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से नए कानूनों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ई.एफआईआर के लिए फोन, ई.मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते हैं। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी। प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी।

इस अवसर पर अपर कलेक्टर रवि साहू, डिप्टी कलेक्टर मिषा कोसले, एसडीओपी सारिका वैद्य सहित पुलिस विभाग के अधिकारी एवं जिला अधिकारी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं है तथा 23 अध्याय के स्थान पर 20 अध्याय हैं। 

भारतीय न्याय संहिता 2023 अंतर्गत संशोधन करते हुए 190 से अधिक छोटे एवं बड़े बदलाव किए गए हैं। 41 अपराधों में सजा बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में अर्थदण्ड की सजा बढ़ाई गई है। कुल 33 अपराधों में कारावासों की सजा बढ़ाई गई है। वहीं 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा लायी गई है। भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत सामुदायिक सेवा को भी दण्ड के प्रकार के रूप में शामिल किया गया है।

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