महासमुन्द

लिसा ला बोन्ते की लिखी आजादी सेट-2 के सफलता की कहानी में महासमुंद आशीबाई गोलछा स्कूल भी
30-Jun-2024 1:12 PM
लिसा ला बोन्ते की लिखी आजादी सेट-2 के सफलता की कहानी में महासमुंद आशीबाई गोलछा स्कूल भी

आजादी मिशन-1,2 में इस स्कूल की छात्राओं ने की थी प्रोग्रामिंग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 

महासमुंद, 30 जून। आजादी सेट-1 तथा 2 में प्रोग्रामिंग करने वाली देश भर की 750 छात्राएं, जिसमें पूरे प्रदेश में महासमुंद की आशीबाई कन्या विद्यालय की 10 बेटियां शामिल हैं। इनकी असफलता से सफलता तक की कहानी अब पूरे विश्व की बालिकाओं को प्रेरणा दे रही है। मालूम हो कि आजादी सेट.1 मिशन फेल होने के बाद भारत के हर नागरिक की आंखें नम हो गई थी। लेकिन इसके बाद विज्ञान में हार नहीं प्रयोग होता है जैसे वाक्य से प्रेरणा लेने के बाद देश भर की 750 छात्राओं के सहयोग से आजादी सेट-2 का सफलता पूर्वक लांच कर देश ने न केवल परचम लहराया। बल्कि, छात्राओं को आत्मविश्वास से भर दिया। 

इसे लेकर भारतीय मूल की विदेश में रहने वाली लिसा ला बोन्ते ने बालिकाओं को प्रेरित करने एक पुस्तक लिख डाली। 75 अंतर राष्ट्रीय पुस्तक में सिलिकॉन वैली एयरोस्पेस और सूचना प्रणालियों में करियर की जड़ें, पिछले 25 वर्षों से विदेशों में, लिसा ने 21 देशों एशिया, मध्य पूर्व, यूरोपीय संघ में व्यवसायों का निर्माण किया है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों यानी रेथियॉन, एसके, लॉकहीड मार्टिन को सलाह दी है।

एक स्टार्टअप विशेषज्ञ और व्यवसाय रणनीतिकार के रूप में लिसा ने रॉयल्टी, सॉवरेन वेल्थ फंड, यूएचएनडब्ल्यू, पारिवारिक कार्यालयों और वीवीआईपी के लिए व्यवसाय शुरू किए हैं। 1997 से वेंचर फ ाइनेंसर के रूप में कार्यरत लिसा ने 76 कंपनियों इंटरनेट, मेडिकल डिवाइस, सॉफ्टवेयर में निवेश किया है। 

जानकारी अनुसार 18 आईपीओ, 8 एमएंड समेत लिसा ने 225 मिलियन डॉलर से अधिक की पूंजी जुटाई है, 100 से अधिक एसएमई को सलाह दी है और उद्योग केंद्रित स्टार्ट.अप इनक्यूबेटरों के लिए सलाहकार के रूप में काम किया है। दुबई से लिसा ने अरब यूथ वेंचर फाउंडेशन की स्थापना की और इसके मुख्य निवेशक और सीईओ के रूप में काम किया और अंतरिक्ष शिक्षा और कार्यबल विकास प्रदान किया। साल 2009 में ऐतिहासिक नासा अंतर राष्ट्रीय अंतरिक्ष अधिनियम समझौता हासिल किया और मध्य पूर्व शिक्षा में नासा को सक्रिय रूप से शामिल किया। जिसमें शहर के आशीबाई गोलछा शासकीय स्कूल का जिक्र है। 

अब इस किताब को स्कूलों में पढ़ाए जाने तथा इनकी कहानी पढऩे प्रेरित किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार हिंदी और अंग्रेजी में लिखी यह प्रेरणादायक सच्ची कहानी 750 युवा भारतीय स्कूली छात्राओं के साहस का सम्मान कर रही है। जिन्होंने हो अगस्त 2022 में लॉन्च होने वाले भारतीय रूम रॉकट पर एक छोटे उपग्रह पेलोड के रूप का में अंतरिक्ष में लान्च करने के लिए 60-26 सूक्ष्म प्रयोग किए।

इस दौरान रॉकेट उपग्रह को कक्षा रेल में स्थापित करने में विफल रहा। जिसके परिणाम स्वरूप शेष मिशन विफल हो गया और छोटे उपग्रह के अलावा सभी विज्ञान प्रयोग नष्ट हो गए। पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि असफलता असामान्य नहीं है और सभी प्रयास योजना के अनुसार नहीं होते हैं। आजादी सैट की कहानी एक सीखने का अनुभव है जो युवाओं को सिखाती है कि दृढ़ता और लचीलापन सबसे महत्वपूर्ण हैं और जीवन में सबसे बड़ी विफलता फिर से प्रयास न करना है, या बिल्कुल भी प्रयास न करना है। यह पुस्तक एक गतिशील शिक्षक और देश भर के अंतरिक्ष उत्साही और विशेषज्ञों की एक बाहरी टीम के नेतृत्व में भारतीय स्कूली छात्राओं के नवाचार, समर्पण, साहस और दृढ़ता का जश्न मनाती हंै।

गौरतलब है कि आशीबाई गोलछा विद्यालय स्थित अटल टिंकरिंग लैब में जिले भर की छात्राओं को विज्ञान तथा अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर नई खोज से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। प्राचार्य जीआर सिन्हा तथा लैब प्रभारी चंद्रशेखर मिथलेश ने बताया कि दोनों ही मिशन में रेणुका चंद्राकर, तृप्ति साहू, किरण साहू, महिमा जांगड़े, मोक्षा ठाकुर, हीना साहू, चंचल साहू, नेहा यादव, राखी यादव तथा फिजा परवीन ने अपनी भूमिका निभाई थी। सेटेलाइट मिशन स्पेस किड्स इंडिया की संस्थापक व सीईओ डॉ.केसन ने भी बच्चों को सराहा था।
 

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