महासमुन्द

मंदिर बनाने जंगल कटाई की अनुमति
25-Jul-2024 2:16 PM
मंदिर बनाने जंगल कटाई की अनुमति

मात्र डेढ़ एकड़ जंगल कटेगा, शेष राजस्व-रेंजर

रजिंदर खनूजा

पिथौरा, 25 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण रक्षा के लिए माँ के नाम पेड़ लगाने का आह्वान कर पौधे लगाने प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पिथौरा वन परिक्षेत्र में एक भगवा ध्वज लगाकर मंदिर बनाने हजारों पेड़ काट कर अब पेड़ काटने की अनुमति लेने की औपचारिकता पूरी की जा रही है।

ज्ञात हो कि इन दिनों हाइवे के किनारे की राजस्व एवं वन भूमि में पहले मंदिर निर्माण किया जा रहा है उसके बाद धीरे धीरे आसपास के पेड़ पौधों की कटाई कर जंगल को मैदान बनाया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार पिथौरा वन परिक्षेत्र के सांकरा उपवन क्षेत्र के ग्राम लोहरीनडोंगरी के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे अवैध कब्जे को लेकर जंगल में सैकड़ों पेड़ों को काट देने का मामला सामने आया है। काटे गए पेड़ अनेक प्रजातियों के हरे-भरे छोटे-बड़े भारी संख्या में बताए जा रहे हैं।

 इस वर्ष भीषण गर्मी को देखते हुए सरकारों से लेकर सामाजिक संस्थाओं को भी यह आभास हो गया है कि पर्यावरण की आवश्यकता क्यों है? पर्यावरण बचाने के लिए वृक्षारोपण का क्या महत्व है। इसे देखते हुए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें एवं स्वयंसेवी संस्थाए वृहद स्तर पर वृक्षारोपण करने जुटी है, वहीं दूसरी ओर हजारों पेड़ों की लगातार बलि चढ़ाकर लोग अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं। इसके लिए सबसे अच्छा साधन मंदिर के लिए जमीन मांगने का है।

इस नाम से चाहे जनप्रतिनिधि हो या अफसर। वे आसानी से इसकी स्वीकृति के लिए तैयार भी हो जाते है।चाहे इसके लिए हजारों पेड़ों की बलि देनी पड़ी।
शायद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इसे पुण्य का कार्य समझ कर सब देखते हुए भी कुछ नहीं देख पा रहे हंै।

आज दोपहर एक बजे समाचार लिखे जाने तक राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कई एकड़ के क्षेत्रफल वाले उप वन परिक्षेत्र सांकरा के ग्राम लोहरीनडोंगरी के जंगल में पेड़ों की कटाई का काम धड़ल्ले से चल रहा है। यहां सैकड़ों हरे-भरे, छोटे-बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।

कुछ प्रत्यक्षदर्शी बताते हंै कि उक्त स्थल पर कुछ ग्रामीणों के द्वारा झण्डा लगाकर भजन कीर्तन कर सामूहिक रूप से हरे-भरे जंगल की अवैध कटाई कर अतिक्रमण किया जा रहा है। ग्रामीण दिन में लकडिय़ां वाहनों से ले जाते हैं एवम ठूंठ तक निकलने से कटाई के प्रमाण नष्ट कर रहे हंै।

बड़े जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा—वन रक्षक
लोहरिन डोंगरी जंगल के प्रभारी वन रक्षक सोहन यादव ने मीडिया को बताया कि मंदिर या किसी सामुदायिक कार्य के लिए जमीन मांगने से शासन द्वारा दी जाती है, उक्त जंगल में मंदिर बनाने हेतु जमीन देने की अनुशंसा क्षेत्र के बड़े जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई है। इसलिए माना जा रहा है कि यहां मंदिर बनाने की स्वीकृति मिल गयी है।

डेढ़ एकड़ ही वन भूमि की जलाऊ काटी-रेंजर
उक्त मामले में स्थानीय प्रभारी रेंजर जंगल मोतीलाल साहू ने बताया कि वहां के ग्रामीण कुछ निर्माण कार्य के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं। मामला डीएफओ के पास भेजा गया है वे इसकी स्वीकृति देंगे। क्योंकि किसी धार्मिक या सामुदायिक प्रयोजन से सरकारी भूमि देने का प्रावधान है। उसी के तहत ग्रामीण उक्त मांग कर रहे हैं। वैसे जिस स्थान पर जंगल कटने की बात है वहां मात्र डेढ़ एकड़ जमीन ही वन भूमि है शेष राजस्व भूमि है। वहां काटे गए पेड़ पौधे जलाऊ प्रजाति के हंै।
 

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