महासमुन्द

मतगणना के लिए स्कूलों से लाई हजारों कुर्सियां गायब!
26-Jul-2024 2:53 PM
मतगणना के लिए स्कूलों से लाई हजारों कुर्सियां गायब!

 पता नहीं कुर्सियां कहां गईं? हमने बहुत ढूंढा, पर नहीं मिलीं-बीईओ

गीली जमीन पर बच्चों की पढ़ाई जारी है...

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 26 जुलाई। बीते 4 जून को लोकसभा चुनाव मतगणना के दौरान जिले के ग्रामीण क्षेत्र स्कूलों से लाई गई हजारों कुर्सियां गायब हो गई तो मजबूूरी में जिला प्रशासन को स्कूलों में कुर्सियों की व्यवस्था करना पड़ रही है। इसका खुलासा खुद बीईओ महासमुंद ने किया है। ‘छत्तीसगढ़’ के सवालों के जवाब में बीईओ श्री सिन्हा ने स्वीकार किया है कि मतगणना के दौरान व्यवस्था के लिए बेहिसाब कुर्सियां लाई गई थीं और सारी की सारी कुर्सियां अब गायब हैं। हालात यह है कि खबर प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन किसी तरह स्कूलों में कुर्सियों की व्यवस्था करने में लगा हुआ है। 

उन्होंने माना है कि स्कूलों से कितनी कुर्सियां उठाई गईं, किन-किन स्कूलों से उठाई गईं, किसने उठाया और क्यों वापस नहीं किया इसका कोई हिसाब लिखित में नहीं है। उनका कहना है कि चुनाव कार्य के दौरान हमेशा ऐसा होता है और फिर कुर्सियों को वापस भी किया जाता रहा है लेकिन न जाने इस बार कुर्सियां कौन चुरा ले गया?

बीईओ कहते हैं-अब क्या करेंगे, किसी न किसी तरह स्कूलों में व्यवस्था करेंगे। हमने बहुत तलाश किया। स्ट्रांग रूम में ढूंढा, लेकिन कुर्सियां नहीं हैं। यह भी माना कि स्कूली बच्चे अब गीले जमीन पर चटाई, बोरा आदि बिछाकर बैठ रहे हैं और पढ़ाई जारी है।

बस ऐसा हुआ कि विभाग के अधिकारी स्कूलों में वाहन लेकर गए, कुर्सियां उठाईं और दो दिनों में वापस लाने का कहकर चले गए. इस बड़ी लापरवाही के बाद भी जिला प्रशासन की कानों में जूं तक नहीं रेंगता। कुर्सियां यदि चोरी गई हैं तो कोतवाली में रिपोर्ट होना था। लेकिन नहीं हुआ है। मतगणना स्थल से सारे लोग वापस अपने-अपने स्थान पर पहुंच गये, पंडाल और किराए पर लाई गई कुर्सियां अपनी मंजिल पर पहुंच गई लेकिन मतगणना स्थल से यदि कोई वापस नहीं लौटा तो स्कूल की कुर्सियां। उस पर भी विभाग ने अभी तक यह जानने की कोशिश नहीं की है कि कुर्सियां किसके आदेश पर, कौन अधिकारी, किन-किन स्कूलों से, कितनी तादात में लाये थे? दूसरे दिन, तीसरे दिन, हफ्ते में, दो हफ्ते में, महीने भर में, अब डेढ़ महीने में कुर्सियां क्यों नहीं गंतव्य तक पहुंच सकी? इसकी जवाबदेही किसी भी अफसर पर नहीं हैं। जिला शिक्षा अधिकारी हर रोज रायपुर से महासमुंद जिला शिक्षा कार्यालय आना जाना करते हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को दबा देना चाहते हैं। क्योंकि जब जांच होगी तो कईयों पर कार्रवाई संभव है।  

आज सुबह दस बजे जिले के कलेक्टर को फोन पर पूछने की कोशिश की गई। उन्होंने दो बार रिंग जाने के बाद भी फोन रिसीव नहीं किया। 10.5 बजे उनका एक मैसेज आया प्लीज मैसेज। मैंने लिखा-कलेक्टर महोदय, मतगणना के दौरान स्कूलों से लाई गई कुर्सियां अब तक गायब हैं। बच्चे गीले जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस पर आपकी ओर से कोई कार्रवाई हुई हो तो बताइगा। समाचार लिखते तक दोपहर के साढ़े 12 बजे हैं और अब तक कलेक्टर की ओर से कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है। )

जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत ने प्रात: 11 बजे फोन रिसीव किया और कहा कि दस मिनट बाद बात करता हूं। पौने बारह बजे उन्होंने फोन का जवाब दिया और कहा कि स्कूलों में आज ही कुर्सियों की व्यवस्था करा दी गई हैं। जहां-जहां से लाई गई थीं, सभी जगह।

 चूंकि सोरिद स्कूल से भी 60-65 नग कुर्सी टेबल गायब हैं। अत: दोपहर ठीक सवा बारह बजे सोरिद स्कूल की प्राचार्य सरिता तिवारी से जानकारी चाही गई। उन्होंने बताया कि अभी तक तो स्कूल में एक भी कुर्सी नहीं पहुंची हैं। यदि आती हैं, तो जानकारी दी जाएगी।

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