महासमुन्द

मामला बच्चों की कुर्सी का: डीईओ तक को झूठ बोलना पड़
27-Jul-2024 3:11 PM
मामला बच्चों की कुर्सी का: डीईओ तक को झूठ बोलना पड़

रहा, बड़े-बड़े अधिकारी हुनर आजमा रहे, पर हाथ खाली 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 27 जुलाई। महासमुंद शिक्षा विभाग में बच्चों की कुर्सियों को लेकर घमासान मचा हुआ है। किसी तरह, कहीं से भी कुर्सियों के समायोजन की तैयारी चल रही हैं। इसके लिए चपरासी से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी तक अपना हुनर आजमा रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही हैं।

कुछ स्कूलों में थोड़ी बहुत व्यवस्था के बाद कल जिला अधिकारी ने ‘छत्तीसगढ़’  को यह कहा कि सभी स्कूलों में पूरी की पूरी व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन जब स्कूलों में पता किया तो मालूम हुआ कि कुर्सियां आई ही नहीं हैं। इस तरह झूठ बोलकर जिला शिक्षा अधिकारी खुद ही इस मामले में फंस गए हैं। क्योंकि गुरुवार को ही महासमुंद बीईओ ने कहा था कि पता नहीं कुर्सियां कहां गईं? हमने बहुत ढूंढा, पर नहीं मिलीं। आज और कल विभाग की छुट्टी है। अत: सोमवार को देखते हैं कि कुर्सियों का क्या होता है?

       इस खबर का यह दूूसरा फालोअप है, फिर भी स्कूलों में बच्चे गीली जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं और बारिश भी नहीं थमी है। अभी तक विभाग को यह पता नहीं चला है कि कौन-कौन सी स्कूलों से कितनी कुर्सियां उठाई गईं, किसने उठाया और क्यों वापस नहीं किया। इसका हिसाब विभाग के पास न तो लिखित में है और न ही किसी ने रफली किसी कागज में लिखा है। बस ऐसा हुआ कि विभाग के अधिकारी स्कूलों में वाहन लेकर गए, कुर्सियां उठाईं और दो दिनों में वापस लाने का कहकर चले गए थे।

यह मामला 2-3 जून 2024 को शुरू होता है। चूंकि 4 जून को लोकसभा चुनाव मतगणना के दौरान जिले के ग्रामीण क्षेत्र स्कूलों से हजारों कुर्सियां लाई गईं थी। जो मतगणना के बाद गायब हो गई। अब मजबूूरी में जिला प्रशासन को स्कूलों में कुर्सियों की व्यवस्था करना पड़ रही है। इसका खुलासा खुद बीईओ महासमुंद ने किया है।

 बीईओ श्री सिन्हा ने स्वीकार किया है कि मतगणना के दौरान व्यवस्था के लिए बेहिसाब कुर्सियां लाई गई थीं और सारी की सारी कुर्सियां अब गायब हैं। हालात यह है कि खबर प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन किसी तरह स्कूलों में कुर्सियों की व्यवस्था करने में लगा हुआ है और आज शनिवार को  दोपहर 12 बजे समाचार लिखते तक कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। हालांकि व्यवस्था के नाम पर ििवभाग वे कुछ स्कूलों में नाम मात्र की कुर्सियां पता नहीं कहां से व्यवस्था करके भेजी हैं।

विभाग ने अभी तक यह जानने की कोशिश नहीं की है कि कुर्सियां किसके आदेश पर, कौन अधिकारी, किन-किन स्कूलों से, कितनी तादात में लाये थे? दूसरे दिन, तीसरे दिन, हफ्ते में, दो हफ्ते में, महीने भर में, अब डेढ़ महीने में कुर्सियां क्यों नहीं गंतव्य तक पहुंच सकी? इसकी जवाबदेही अब तक किसी भी अफसर पर नहीं हैं। जिला शिक्षा अधिकारी हर रोज रायपुर से महासमुंद जिला शिक्षा कार्यालय आना जाना करते हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को दबा देना चाहते हैं। क्योंकि जब जांच होगी तो कईयों पर कार्रवाई संभव है।  

       मालूम हो कि कल सुबह दस बजे जिले के कलेक्टर को फोन पर पूछने की कोशिश की गई। उन्होंने दो बार रिंग जाने के बाद भी फोन रिसीव नहीं किया। 10.5 बजे उनका एक मैसेज आया प्लीज मैसेज। मैंने लिखा-कलेक्टर महोदय, मतगणना के दौरान स्कूलों से लाई गई कुर्सियां अब तक गायब हैं। बच्चे गीले जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस पर आपकी ओर से कोई कार्रवाई हुई हो तो बताइगा। आज दिनांक को खबर बनाते तक कलेक्टर की ओर से कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है।

जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत ने कल प्रात: 11 बजे फोन रिसीव किया और कहा कि दस मिनट बाद बात करता हूं। पौने बारह बजे उन्होंने फोन का जवाब दिया और कहा कि स्कूलों में आज ही कुर्सियों की व्यवस्था करा दी गई हैं। जहां-जहां से लाई गई थीं, सभी जगह। लेकिन लगता है जिला शिक्षा अधिकारी अखबार को झूठ बोल गए। क्योंकि आज अभी बाहर बजे तक डीईओ साहब की बात को चौबीस घंटे बीत चुके हैं और अभी तक स्कूलों में कु र्सियां पहुंची ही नहीं हैं। आज तो शनिवार है, सरकारी दफ्तर बंद हैं। कल रविवार है। अत: कल भी बंद रहेंगे। परसों सोमवार को यदि व्यवस्था हो सकेगी तो बात अलग है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news