महासमुन्द

रात को शराबबंदी के नारों के साथ लाठी-टार्च लिए गांव का भ्रमण करती हैं बुंदेली की महिलाएं
01-Jan-2021 3:21 PM
रात को शराबबंदी के नारों के साथ  लाठी-टार्च लिए गांव का भ्रमण  करती हैं बुंदेली की महिलाएं

दो महीनों पहले यहां अवैध शराब की चर्चा होती थी, अब शराबबंदी के लिए चर्चाएं हैं 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 1 जनवरी।
महासमुन्द जिला मुख्यालय से करीब 68 किमी दूर बसे बुंदेली गांव में अब शराब के कारण घर-परिवार के झगड़े बंद हैं। दो महीने पहले यहां सब कुछ अलग था। शराब के नशे में आए दिन लड़ाई-झगड़े और मारपीट की शिकायतें हर रोज सुनने को मिलती थी। 

घर के पुरुष महिलाओं को पीटते या फिर पति पत्नी और बच्चों के झगड़े अधिकांश घरों में होते थे। अब यहां बुंदेली थानेदार विकास शर्मा के सहयोग से महिलाओं ने एक समूह तैयार किया है। मां महिला समिति नाम की इस समूह की महिलाएं रात को शराबबंदी के नारों के साथ हाथ में लाठी और टार्च लिए गांव का भ्रमण करती हैं और अवैध शराब बनाने वालों को पकडक़र पुलिस के हवाले कर देती हैं। दो महीनों पहले यहां अवैध शराब की चर्चा होती थी, अब शराबबंदी के लिए चर्चाएं रही है। शिक्षिका अपनी सेवाएं देते हुए साल 2015 में रिटायर हुई सुनिधि चंद्राकर बताती हैं कि मैंने अपनी आंखों से तीन पीढिय़ों को शराब के कारण बर्बाद होते देखा है। कई ऐसे घर हैं,जहां दादा, पिता और बच्चा तीनों एक साथ शराब पीते थे।

गांव में अवैध शराब बेचे जाने वालों के खिलाफ  आंदोलन खड़ा करने वाली महिला समिति अब शराबबंदी के साथ स्वरोजगार की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए चौकी प्रभारी विकास शर्मा भी आगे हैं। विकास शर्मा ने स्वयं के खर्च से महिला समिति के लिए मिनी आटाचक्की मशीन, पैकेजिंग मशीन और वेट मशीन खरीदकर दिया है। समिति की महिलाओं को मशरूम पाउडर बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। पंचायत की ओर से समिति को एक भवन दिया गया है, जहां ये मशरूम पाउडर तैयार कर उसकी पैकेजिंग करेंगी। गांव के ही मशरूम उत्पादक लेखराम रात्रे से महिला समूह मशरूम की खरीदी करेगी और उसका पाउडर तैयार करेगी।

मां महिला समिति की अध्यक्ष सुनिति चंद्राकर, सचिव लता ठाकुर सहित सदस्य बिंदा चौहान, पुन्नी डडसेना, झुनिया दीवान. कमला दीवान (ये चारों पंच भी हैं) ने बताया कि गांव के अधिकांश घरों में अवैध शराब बनता था। गांव में कुल 1800 मकान हैं और आबादी 6 हजार की है। लेकिन इसमें से 600 घरों में अवैध तरीके से शराब बनाए जाते थे। 

हालात ये थे कि शराब बनाने के इस काम में महिलाएं, बच्चे और घर के बुजुर्ग भी शामिल थे। अवैध शराब का कारोबार करने वालों की सूचना गांव के कुछ युवा समिति की महिलाओं को देते हैं। उपसरपंच पूरनदास मानिकपुरी ने बताया कि गांव के युवा परस यादव, लाला बघेल, छोटे लाल प्रभाकर, दुर्गेश दास और संदीप राव समेत कुछ युवाओं की एक टीम भी बनाई गई है। 
 

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