महासमुन्द
![गोधन न्याय योजना से किसानों को हो रही अतिरिक्त आमदनी गोधन न्याय योजना से किसानों को हो रही अतिरिक्त आमदनी](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1609494824.jpeg)
पशुपालकों-किसानों ने बेचा पौने 3 करोड़ का गोबर
छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 1 जनवरी। गोधन न्याय योजना जिले के पशुपालकों के लिए आर्थिक रूप से वरदान साबित हो रही है। इस योजना से किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है। वर्मी कम्पोस्ट के जरिए जैविक खेती की ओर किसान बढ़ रहे हैं। गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार होने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समतियों के माध्यम से हो रही है। किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन को पौधरोपण एवं उद्यानिकी खेती के समय जैविक खाद भी मिलने लगा है। स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी रोजगार मिलने लगा है।
गोधन न्याय योजना से शुरूआत से लेकर अब तक महासमुन्द जिले में 4108 गोबर विक्रेता हैं। इनमें 3440 सक्रिय पशुपालक गोबर विक्रेता हैं। इन गोबर विक्रेताओं को निर्धारित दर पर अब तक 2 करोड़ 66 लाख 98 हजार रुपये का कुल एक करोड़ 33 लाख 49 हजार किलो गोबर की खरीदी की गई है। उक्त हितग्राहियों को अब तक छह किश्तों के माध्यम से अब तक 2 करोड 5 लाख 94 हजार रुपए से अधिक का भुगतान सीधे बैंक खातों के जरिए मिल चुका है। शेष राशि का भुगतान चार किश्तों में और किया जा रहा है। जिले की महिला स्वसहायता समूह ने 93 क्विंटल 25 किलो वर्मी कम्पोस्ट खाद अब तक बेचा है। जिसके एवज में उन्हें 89 हजार 840 रुपए की कमाई हुई। महासमुन्द जिले के 86 गौठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है। सबसे कम महासमुन्द ब्लॉक के कौंआझर गौठान में और गौठानों की अपेक्षा सबसे कम केवल 15 हजार 675 किलो गोबर ही पशुपालकों द्वारा बेचा गया है।
अब तक सबसे अधिक गोबर की खरीदी महासमुन्द ब्लाक के बम्हनी गौठान में हुई है। यहां 74 सक्रिय पशुपालकों से 8 लाख 70 हजार 853 किलो गोबर की खरीदी की गई है। सबसे कम इसी विकासखण्ड के कौंआझर गौठान में अब तक केवल 15 हजार 675 किलो गोबर की खरीदी हुई है। यहां बताना लाजमी होगा कि अबसे अधिक इसी विकासखण्ड के बम्हनी के ईश्वर यादव ने एक लाख लगभग 91 हजार रुपए का 95 हजार 500 किलो गोबर बेचा है। पशुपालक ईश्वर यादव ने फोन पर बताया कि लगभग इनके पास 55.57 गाय.भैंस हैं। वहीं बसना ब्लॉक के सकरी गौठान में बिहारी पशुपालक किसान ने 60 हजार किलो से अधिक गोबर बेचकर एक लाख 20 हजार से अधिक की राशि कमाई। पशुपालकों ने बताया कि उन्हें किश्तों का भुगतान समय-समय पर हो रहा है।