विचार / लेख
रूचिर गर्ग
जिंदगियां बचाने के लिया अंग दान करने वालों का ओडिशा में राजकीय समान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अंग दान जिंदगियां बचाने के लिए तो बेहद जरूरी है ही लेकिन यह समाज में वैज्ञानिक नजरिए के प्रसार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में नए अनुसंधानों से लेकर चिकित्सा विद्यार्थियों की पढ़ाई तक के लिए मृत व्यक्ति का शरीर बड़ी जरूरत होती है।
दुर्भाग्य से रीति-रिवाजों की जकडऩ आमतौर पर परिवारों को ऐसा फैसला करने से रोकती है। फिर भी अब इस दिशा में जागरूकता बढ़ी है और ओडिशा सरकार का यह फैसला ऐसी जकडऩ के मुकाबले भी लोगों को अंगदान,शरीर दान के लिए निश्चित ही प्रोत्साहित करेगा।
अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए ओडिशा सरकार पहले भी महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है।
यह खबर आज ऐसे मौके पर आई है जब रायपुर के वरिष्ठ सीपीएम नेता और एलआईसी की कर्मचारी यूनियन के राष्ट्रीय नेता बिश्वनाथ सान्याल जी के नौजवान बेटे विप्लव सान्याल की देह आज ही रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर शासकीय मेडिकल कॉलेज को सौंपी जाएगी।
विप्लव मेरा बहुत करीबी बच्चा था। उसे अपनी आंखों के सामने बड़ा होता देखा है। लंदन में एक भारतीय कंपनी में नौकरी करते हुए पिछले दिनों उसकी अत्यंत दुर्भाग्यजनक मृत्यु हो गई थी।इस नौजवान की असमय मृत्यु ने झकझोर कर रख दिया। विप्लव जिसे प्यार से बाबू पुकारते थे बस थोड़ी देर में विमान से रायपुर पहुंचेगा और फिर चिकित्सा विज्ञान की राह रोशन करने में मददगार अंतिम सफर पर निकल पड़ेगा।
मैंने भी बहुत पहले ही तय किया है कि मृत्यु के बाद मुझे डॉक्टर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाए।
मध्य प्रदेश खनिज निगम के पूर्व एमडी रहे मेरे श्वसुर स्मृति शेष विनय पाठक ने मृत्यु पूर्व ही यह इच्छा व्यक्त कर दी थी और परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी देह डॉक्टर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज को सौंपा था। उनकी आंखें भी तभी किसी के काम आ गईं थीं।
हमारे संपादक सुनील कुमार जी के पिता की भी देह इसी मेडिकल कॉलेज को दान की गई थी।
देहदान, अंगदान जीवन के ऋण से भी उबरने का मौका है।
मानवता भी जिंदाबाद होगी।
प्रिय बाबू को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।