विचार / लेख
सनियारा खान
एक कक्षा में मास्टरजी ने बच्चों को चोर के बारे में निबंध लिखने कहा। उनमें से एक बच्चा लिखता है, कि ये जो चोर प्रजाति है न, ये ही हमारे समाज की अर्थनीति के कर्ता-धर्ता होते हैं। पूरी की पूरी अर्थनीति चोर ही अपने कंधों पर उठा कर चलने की हिम्मत रखते हैं।
उसकी बात सुनकर सारे बच्चे हंसने लगे। बच्चों को चुप कराकर मास्टरजी ने उसे इस बारे में विस्तार से समझाने के लिए कहते हैं। अब वह बच्चा कहने लगता है..... मुझे लगता है कि समाज में चोरों की सबसे अधिक ज़रूरत है। समाज में चोर है तभी तो हम सभी को ताला, चाबी और अलमारी चाहिए होती है। और इसी कारण कंपनियां भी इस तरह की चीज़ों का उत्पादन करती हैं। देखा जाए तो उत्पादन में चोरों का भी हाथ होता है। फिर चोरों के डर से खिड़कियों में ग्रिल लगाई जाती है। दरवाजों में भी मज़बूत ताला लगाना पड़ता है। और तो और, हर सोसायटी में चौकीदार रखा जाता है। इसी तरह चोरों के कारण लोगों को नौकरी भी मिलने लगी है।
आज के ज़माने में बहुत जल्दी-जल्दी कभी हमारी मोबाइल चोरी हो जाते हैं, तो कभी लैपटॉप, या कभी गाड़ी भी चोरी हो जाती है। मजबूरन हमें ये चीज़ें दोबारा खरीदना पड़ता है। इनके बगैर तो जि़ंदगी चलती ही नहीं! इससे इन कंपनियों को भी तो फ़ायदा होता है। मतलब उन्हीं-उन्हीं सामानों को दोबारा बेचकर कंपनियों को फिर से फ़ायदा होता है। दोबारा उत्पादन करने के लिए लोगों को फिर से वेतन
भी देना होता है। सभी का इसी तरह फ़ायदा ही फायदा है। चोर है इसीलिए तो हमें अपने घर के चारों ओर बाउंड्री वॉल बनानी पड़ती है।
अगर हमारे घर में औरों से ज़्यादा सोना, चांदी और रुपए है, तो मुख्य दरवाजे के सामने बैठ कर पहरा देने के लिए एक दरबान रखना भी जरूरी हो जाता है। तो उस बेचारे का भला ही तो हुआ न! चोरों के रहते तक सीसीटीवी और कैमरे की बिक्री भी बढ़ती रहेगी। चोर के कारण ही थाना, पुलिस, पुलिस की गाड़ी, बंदूक, रिवॉल्वर, गोलियां इन सबके लिए समाज न कहने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। इसी कारण अलग अलग प्रकार के लोगों को अलग अलग काम मिलते रहेगा।
एक और बात है, कोई चोर पकड़ा जाए तो उसे रखने के लिए जेल के साथ साथ एक जेलर और काफ़ी सारी पुलिस की भी जरूरत होगी। इस हालत में पुलिस महकमे और जेल परिसर में भी कर्मठ लोगों को नौकरी मिलना तय है। और भी बातें हैं.....चोर है तभी तो कचहरी परिसर में रौनक है। चोर नहीं रहेगा तो वकील और जज तक बेरोजगार हो जायेंगे।
चोर बिरादरी है तो उनके साथ साथ मीडिया का भी होना ज़रूरी है। हालात देख कर कभी उनके पक्ष में और कभी कभार विपक्ष में भी कहना पड़ सकता है। चोर नहीं होंगे तो मीडिया को भी भूखे पेट रहना पड़ेगा। तो सरजी, आप खुद सोचिए कि चोर है तो उत्पादन भी है और रोजगार की गारंटी भी है। अब आप ही बताइए कि इन चोरों से ही सारा देश हरा-भरा और रौनकदार रहता है कि नहीं?
मैंने ये किस्सा सोशल मीडिया में ही कहीं पढ़ा था। इसे बस अपने ढंग से आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हूं। लेकिन इस कहानी में कोई ट्विस्ट तो होना ही चाहिए। वक्त का तकाजा भी यही कहता है। तो आगे अर्ज है कि मास्टरजी ने उस बच्चे को डांटते हुए कहा- ‘तू नालायक है। तभी चोरों की तारीफ में जमीन-आसमान एक करते हुए ये सब लिखा।। लेकिन याद रख, चोर एक दिन बर्बाद होकर ही रहता है।’
अगले दिन से उस बच्चे ने स्कूल आना बंद कर दिया। सालों बाद एक दिन वह बंदा बड़ी सी गाड़ी में सवार हो कर उसी मास्टरजी से मिलने आता है। बूढ़े हो चुके मास्टरजी उसे पहचान नहीं पाते हैं। वे पूछते है- ‘लगता है आप शिक्षा विभाग में कोई बड़े अफसर हैं। स्कूल देखने आए हैं क्या?’
वह मास्टरजी के पैर छूकर कहता है:‘मास्टरजी, आपने पहचाना नहीं? मैं वही बच्चा हूं जिसे चोरों की तारीफ करने पर आपने डांटा था। बस आपको ये समझाने के लिए आया हूं कि चोर शिक्षा के बिना ही शिक्षा को खरीद भी सकता है और शिक्षा की दुनिया में सेंध भी लगाने की ताकत रखता है। अच्छा हुआ कि एक चोर ने मुझे दीक्षा दे कर ये समझाया था कि खूब पढ़ाई करके एक बड़ा अफ़सर बन कर भी चोर को ही माई-बाप बोलना पड़ता है। तो सीधे चोर बनने की ट्रेनिंग लेना ही अक्लमंदी है।’ उसने प्यार से मास्टरजी को कुर्सी पर बिठाते हुए धीरे से कहा-‘अब से ये स्कूल मेरा है। इसे मैंने खरीद लिया है। तो अब आप मेरे प्रतिनिधि बन कर ये स्कूल चलाइए। उसी तरह बच्चों को शिक्षा दीजिए जिस तरह मैं आपको सिखाऊंगा। ध्यान रखिए कि आपका दिमाग अब से मेरे इशारे पर काम करेगा। नहीं-नहीं, डरिए मत। आपको नहीं, बस आपके दिमाग को मैं हाइजैक कर रहा हूं। आप तो मस्त होकर मेरा काम, ओह सॉरी मास्टर जी, अपना काम करते रहिए।’