विचार / लेख
![एमपी अजब है! एमपी अजब है!](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1720511285471.jpg)
डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
क्या कभी ऐसा हुआ है कि सरकार बीजेपी की हो और उसमें कांग्रेस के विधायक को मंत्री बनाया गया हो?
मेरी जानकारी में तो ऐसा कोई प्रकरण नहीं है, लेकिन आज मध्य प्रदेश में जो हुआ, वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है! कांग्रेस के विजयपुर, श्योपुर जिले के विधायक रामनिवास रावत को राज्यपाल ने आज सुबह मंत्री पद की शपथ दिलाई! जी हां, कांग्रेस के विधायक को बीजेपी सरकार में मंत्री पद!
पहले रावत जी ने गलती से राज्य मंत्री पद के शपथ ले ली। 10 मिनट बाद ही फिर उन्हें शपथ दिलाई गई !
पहले उन्होंने अपने शपथ लेते हुए शपथ में पढ़ दिया था- ‘राज्य मंत्री के रूप में’ मैं अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा।
जबकि उन्हें कहना था कि मैं ‘राज्य के मंत्री के रूप में’ अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा।
...तो ‘राज्य मंत्री’ की जगह ‘राज्य के मंत्री’ पढ़ देने मात्र से वे केबिनेट मंत्री बन गए।
15 मिनट में प्रमोशन हो गया।
सवाल यह है कि कांग्रेस विधायक को बीजेपी की सरकार में मंत्री क्यों बनाया? 230 सदस्यों के सदन में बीजेपी के पास पहले ही 163 विधायक हैं। अच्छा खासा बहुमत है। लेकिन फिर भी कांग्रेस में फिर भी बीजेपी ने कांग्रेस के विधायक को अपने पाले में लिया।
क्या इसके पीछे कांग्रेस के विधायक की भाजपा के प्रति वफादारी है या कांग्रेस के नेताओं द्वारा उपेक्षा?
10 साल में तीसरी घटना है जो राजनीति में नैतिकता के खात्मे के बखान करती है।
2014 में भिंड से डॉक्टर भागीरथ प्रसाद को लोकसभा का टिकट मिला था। अगले ही दिन डॉ. भागीरथ प्रसाद को भाजपा ने टिकट दे दिया। वे चुनाव में खड़े हुए। लड़े। जीते। 5 साल तक रहे।
इसी वर्ष लोकसभा के चुनाव में इंदौर में कांग्रेस ने अक्षय बम को टिकट दिया था। नामांकन वापसी के ऐन मौके पर उन्होंने नाम वापस ले लिया और बीजेपी में भर्ती हो गए।
इसके बाद यह तीसरी घटना है जब राजनीति और नैतिकता में 36 का आंकड़ा सिद्ध हुआ।