विचार / लेख
- ध्रुव गुप्त
हाथरस के भोले बाबा प्रकरण के बाद टीवी के न्यूज चैनलों पर आजकल भूत-प्रेत भगाने वाले बाबाओं को दिखाने की होड़ लगी हुई है। कल शाम एक चैनल पर शनि धाम के एक बाबा के भूत-प्रेत भगाने के तरीकों पर एक रिपोर्टिंग देखकर याद आया कि यह विद्या कभी मुझे भी आती थी। बात 1999 की है जब मैं बिहार के समस्तीपुर जिले का एसपी हुआ करता था। एक दिन हसनपुर थाने के दियारा क्षेत्र के भ्रमण पर निकला था कि एक छोटे-से गांव में एक पेड़ के नीचे लोगों की भारी भीड़ देखकर रुक गया। वहां एक अलाव के गिर्द दो युवक विचित्र मुख-मुद्राएं बनाकर पागलों की तरह उछल और चीख-चिल्ला रहे थे और एक बाबा कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए हवन-पात्र में कुछ डालता जा रहा था। मुझे देखकर बाबा रुका। पूछने पर उसने बताया कि दोनों युवक बुरी प्रेतात्माओं के कब्जे में हैं जिन्हें भगाने की जुगत हो रही है। बाबा ने गर्व से यह भी बताया कि वह अपनी अचूक तंत्र-विद्या से अब तक सैकड़ों लोगों को प्रेत बाधा से मुक्त करवा चुका है। दोनों युवकों की उटपटांग हतकतें पहले की तरह जारी थी। मैने बाबा को बताया कि भूत भगाने की विद्या में मैं भी पारंगत हूं। बाबा ने मुझे हैरत से देखा। मैंने दोनों युवकों को अपनी किंगसाइज हाथों से पांच-दस थप्पड़ मारे। वे दो मिनट भी मेरा वार नहीं झेल सके और एकदम नार्मल होकर हाथ जोड़ दिए। प्रेत-बाधा का नामोनिशान नहीं। बाबा ने सकुचाते हुए कहा- कमाल है सरकार, आपने तो उन खूंखार प्रेतों को सचमुच भगा दिया। मैंने कहा- भगाया नहीं बाबा, बस उन्हें आपके भीतर ट्रांसफर कर दिया है। अब आपका इलाज करूंगा। मैं बाबा की तरफ बढ़ा ही था कि वह झोला-झंटा वहीं छोडक़र भाग खड़ा हुआ।
मैं वहां उपस्थित लोगों को कई तर्कों और उदाहरणों के माध्यम से अंधविश्वास के दुष्प्रभाव और बाबाओं के पाखंड से अवगत कराया। यह भी कहा कि आपमें कोई शारीरिक या मानसिक तौर पर बीमार है तो मेरे साथ चलिए, मैं अच्छे अस्पताल में मुफ्त में इलाज करवा दूंगा। मेरे साथ कोई नहीं आया। मेरे लौट आने के बाद मेरे समझाने का उन पर कितना असर हुआ वह एक महीने बाद पता चला जब एक चौकीदार ने बताया कि वही बाबा उसी गांव के लोगों से एक बार फिर गंभीर रोग ठीक करने के नाम पर हजारों रुपये ठगकर फरार हो गया है।