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पाक चुनावों में धांधली के नए आरोप अब रावलपिंडी कमिश्नर ने कहा- ‘जीते हुए उम्मीदवारों को हराया गया’
18-Feb-2024 1:24 PM
पाक चुनावों में धांधली के नए आरोप  अब रावलपिंडी कमिश्नर ने कहा-  ‘जीते हुए उम्मीदवारों को हराया गया’

पाकिस्तान में रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्टा ने आम चुनाव में धांधली के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस धांधली में मुख्य चुनाव आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं। उनके आरोपों पर आयोग ने कहा है कि वह इनकी जल्द जांच कराएगा। उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में मीडिया से बात करते हुए कमिश्रर ने कहा, ‘मैं शांति से मरना चाहता हूं, मैं उस तरह की जिंदगी नहीं जीना चाहता जो मेरे साथ हो रहा है। इस डिवीजन के 13 एमएनए जिन्हें 70-70 हजार वोट मिले थे, वे हार गए थे, उन्हें नकली मुहरें लगाकर हराया गया।’

उन्होंने कहा, ‘यह (सब) मुझे पसंद नहीं आया, इसलिए मैंने अपने पद से, अपनी नौकरी से, हर चीज़ से इस्तीफा दे दिया है।’

कमिश्नर ने कहा, ‘मैंने जो किया है वह इतना बड़ा अपराध है। मैं खुद को पुलिस के हवाले कर दूंगा। मुझे उसकी कड़ी सजा मिलनी चाहिए।’

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा है कि वह इन आरोपों की जल्द जांच कराएगा। लेकिन इस घटना ने पाकिस्तान के चुनावों की निष्पक्षता को लेकर उठी शंकाओं को एक बार फिर से रेखांकित कर दिया है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की नेता मरियम औरंगजेब ने कार्यवाहक सरकार से रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्टा का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट में डालने और उनकी जांच करने की मांग की है।

शनिवार को लाहौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मरियम औरंगजेब ने कहा कि चुनाव कराना कमिश्नर की नहीं बल्कि रिटर्निंग ऑफिसर्स और डिप्टी रिटर्निंग ऑफिसर्स की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि कमिश्नर न तो रेटिंग अधिकारी हैं और न ही डिप्टी रेटिंग अधिकारी हैं। मरियम औरंगजेब ने आगे कहा कि कोई भी उम्मीदवार 50 हजार वोटों की बढ़त से नहीं जीता है।

उनके अनुसार, आयुक्त के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जो उन्हें चुनाव परिणामों की तैयारी तक पहुंच प्रदान करे।

पीएमएल (एन) नेता ने कार्यवाहक सरकार से मांग की कि लियाकत अली चट्टा के पूरे रिकॉर्ड को कब्ज़े में लिया जाए और जांच की जाए कि वह किसके संपर्क में थे और उसकी दैनिक गतिविधियों की जांच की जाए।’

चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने क्या कहा

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने रावलपिंडी डिविजन के उपायुक्त लियाकत अली चट्टा द्वारा आम चुनावों में कथित धांधली से संबंधित आरोपों से इनकार किया है।

मुख्य न्यायाधीश क़ाज़ी फ़ैज़ ईसा ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए लियाकत अली चट्टा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘आप जो आरोप लगा रहे हैं वह बेबुनियाद है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। न ही आप कोई सबूत पेश करते हैं।’

इन आरोपों पर जवाब देते हुए चीफ़ जस्टिस क़ाज़ी फ़ैज़ ईसा ने कहा, ‘आप कोई भी आरोप लगा सकते हैं, कल मुझ पर चोरी या हत्या का आरोप लगा दीजिएगा।’

उन्होंने कहा कि आरोप लगाना लोगों का अधिकार है, लेकिन साथ ही सबूत भी देना होता है।

बता दें कि इस वक्त सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के चैंबर में कमिश्नर रावलपिंडी के आरोपों पर सलाह-मशविरा की बैठक चल रही है। इस बैठक में जस्टिस मुनीब अख्तर, जस्टिस याह्या अफरीदी, जस्टिस आयशा मलिक और जस्टिस अतहर मनुल्लाह मौजूद हैं।

इस बैठक में रावलपिंडी कमिश्नर के आरोपों की समीक्षा की जा रही है और इस बात पर विचार-विमर्श किया जा रहा है कि इस मुद्दे पर नोटिस लिया जाए या नहीं।

पीटीआई ने मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की मांग की

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्टा के चुनाव में धांधली के आरोप पर मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा के इस्तीफे की मांग की है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रवक्ता ने शनिवार को एक बयान में कहा कि रावलपिंडी चुनाव में धांधली की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त के पास पद पर बने रहने का कोई संवैधानिक और नैतिक आधार नहीं बचा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रवक्ता का कहना है कि रावलपिंडी के कमिश्नर के बयान ने उनकी पार्टी की स्थिति का समर्थन और पुष्टि की है कि चुनाव में जनादेश की 'चोरी' हुई है।

बता दें कि आम चुनाव में कथित धांधली के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ आज देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है।

जमीयत-ए-इस्लामी के नेता का मामला

पाकिस्तान के विवादास्पद चुनावों में जीतने वाले जमीयत-ए-इस्लामी के हाफिज नईम उर रहमान ने अपनी सीट छोडऩे का एलान इसी हफ्ते किया था।

उनका कहना था कि वोटिंग के दौरान उन्हें जिताने के लिए धांधली की गई थी।

जमीयत-ए-इस्लामी के नेता को प्रांतीय विधानसभा की सीट नंबर पीएस-129 से विजेता घोषित किया गया था। ये सीट कराची शहर में पड़ती है।

लेकिन इस हफ्ते उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थन से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार ने उनसे कहीं ज़्यादा वोट हासिल किए थे लेकिन बाद में उस उम्मीदवार के कुल मतों की संख्या को कम कर दिया गया था।

इतना ही नहीं, हाफिज नईम उर रहमान ने इसके बाद सीट छोडऩे का एलान कर दिया। हाफिज़़ नईम उर रहमान ने सोमवार को अपनी पार्टी के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘अगर कोई हमें अवैध तरीके से जिताना चाहता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जनता की राय का सम्मान किया जाना चाहिए। विजेता को जीतने दिया जाए और पराजित उम्मीदवार को हारने दिया जाए। किसी को कुछ भी ज़्यादा नहीं मिलना चाहिए।’

हाफिज़़ नईम उर रहमान ने बताया कि उन्हें 26 हज़ार से अधिक वोट मिले थे जबकि स्वतंत्र उम्मीदवार सैफ़ बारी को 31 हज़ार वोट मिले थे। बाद में पीटीआई समर्थित उम्मीदवार सैफ़ बारी के हिस्से में 11 हज़ार वोट ही दिखाए गए।

पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने हाफिज़़ नईम उर रहमान के लगाए आरोपों को खारिज किया है।

वोटों की धोखाधड़ी और दखलंदाज़ी के आरोप

इन चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटों की धोखाधड़ी और दखलंदाज़ी के आरोप लगे हैं।

कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के समर्थन से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की संभावना को नुकसान पहुंचाने के लिए ये गड़बडिय़ां की गई हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पिछले साल के अगस्त महीने से ही जेल में हैं। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ को चुनाव लडऩे से अयोग्य करार दे दिया गया था।

यहां तक कि पार्टी के चुनाव चिह्न बल्ले को भी जब्त कर लिया गया।

इसका सीधा मतलब ये था कि पीटीआई के उम्मीदवारों को स्वतंत्र प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लडऩा पड़ा।

स्वतंत्र उम्मीदवारों की जीत

लेकिन इन तमाम बाधाओं के बावजूद देश भर में मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर चुनावों में हिस्सा लिया और इमरान ख़ान के समर्थन में मतदान किया।

265 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में पीटीआई समर्थित 93 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।

इसके साथ ही नेशनल असेंबली में इन स्वतंत्र उम्मीदवारों का गुट किसी अन्य पार्टी से कहीं आगे था।

हालांकि पीटीआई का कहना है कि उसके उम्मीदवारों ने अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है और उनके चुनाव जीतने का अंतर भी कहीं अधिक है।

पाकिस्तान में बनेगी गठबंधन सरकार

पीटीआई की कामयाबी के बावजूद इमरान खान के विरोधी राजनेताओं नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो जऱदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इस हफ़्ते की शुरुआत में बताया कि नई सरकार के गठन के लिए उनके बीच समझौता हो गया है। (बाकी

पिछले हफ़्ते हुए चुनावों में पीएमएल (एन) को 75 सीटें मिली हैं जबकि तीसरे स्थान पर रही पीपीपी के खाते में 54 सीटें आई हैं।

गठबंधन सरकार के गठन के लिए उन्होंने एमक्यूएम जैसी क्षेत्रीय और छोटी पार्टियों के साथ भी करार किया है।

इसके अलावा राजनीतिक दलों को महिलाओं और गैर मुसलमानों के लिए आरक्षित 70 सीटें भी मिलेंगी।

ये अतिरिक्त सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों को हासिल नहीं हैं।

पीएमएल (एन) और पीपीपी का गठबंधन

इस गणित का ये भी मतलब है कि सरकार गठन के लिए जरूरी 169 सीटें इस गठबंधन को आसानी से मिल जाएंगी।

साल 2022 में इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने हाथ मिलाया था।

नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने उस वक्त प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभाला था।

इस बार भी उन्हें देश के नए नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है।

इमरान ख़ान को संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री के पद से हटाया गया था। उसके बाद उन पर कई आपराधिक आरोप लगाए गए थे।

चुनाव के ठीक पहले उन्हें कई आरोपों में 14 साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी। उन्हें दी गई कई सजाओं पर एक साथ तामील होगी।

71 वर्षीय इमरान ख़ान का कहना है कि उन्हें झूठे मुक़दमों में फंसाया गया है और ये उनके खिलाफ की गई राजनीतिक साजि़शों के तहत हुआ है।

पाकिस्तान की केयर टेकर सरकार इमरान ख़ान के इन आरोपों को खारिज करती है। (bbc.com/hindi)

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