राजनांदगांव
अब शिशु मृत्यु दर में काफी कमी, म्युजिक थैरेपी से हृदय रोगियों का बेहतर इलाज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 अक्टूबर। जिले के उत्तरी इलाके के सबसे बड़े कस्बे साल्हेवारा में पिछले 5 सालों के भीतर स्वास्थ्यगत बुनियादी ढांचा मजबूत होने के बाद न सिर्फ स्थानीय ग्रामीण बल्कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के दर्जनों गांव के बाशिंदे बेहतर उपचार के लिए साल्हेवारा अस्पताल का रूख कर रहे हैं। ऊंचे पठार वाले इलाके में एक वक्त चिकित्सा की सुविधा एक कल्पना मात्र थी। गुजरे पांच साल में एक टीमवर्क के जरिये अस्पताल के आरएमए डॉ. जयकिशन महोबिया अपने कंधे पर करीब 20 हजार की आबादी का उपचार कर रहे हैं। नित नए बदलाव की सोच लेकर डॉ. महोबिया ने स्वास्थ्य की दिशा में अस्पताल को आधुनिक रूप से सुसज्जित करने का प्रयास किया है। वहीं सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी की साल्हेवारा को स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस करने की एक निजी प्रयास भी एक प्रमुख वजह बनी है।
सीएमएचओ डॉ. चौधरी और साल्हेवारा के आरएमए डॉ. महोबिया ने बीते सालों में अस्पताल का कायाकल्प कर दिया है। उच्च स्तरीय सफाई व्यवस्था अस्पताल की खासियत को जाहिर कर रहा है। खास बात यह है कि अस्पताल को मेडिकल उपकरणों से सुसज्जित किए जाने के बाद बालाघाट जिले के मचुरदा, दमोह, सलटिकरी, अचानकपुर समेत दर्जनों गांव के ग्रामीण उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल में पड़ोसी राज्यों की महिलाएं भी प्रसव के लिए खासी तादाद में पहुंच रही है। अस्पताल की विशेषता यह है कि शिशु मृत्यु दर अब चुनिंदा आंकड़ों तक सिमट गई है। साल्हेवारा सरकारी अस्पताल वर्तमान में राजनंादगांव जिले के सबसे बड़े सेक्टर में गिना जाता है। आठ उप स्वास्थ्य केंद्र के जरिये एक बड़ी आबादी का उपचार किया जा रहा है। साल्हेवारा क्षेत्र में करीब 44 आंगनबाड़ी भी संचालित हो रही है। जिसमें 82 मितानिन कार्यरत हैं। गर्भवती महिलाओं के प्रसव को लेकर अस्पताल प्रबंधन बेहद गंभीर है। यही कारण है कि प्रसव के दौरान शिशु मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की गई है। कोविड काल में अस्पताल प्रबंधन ने अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया है। 20 हजार की आबादी में से 14 हजार 560 का टीकाकरण किया गया है। यानी लक्ष्य का 75 फीसदी वैक्सीनेशन हो गया।
साल्हेवारा के अंदरूनी गांवों में आपातकालीन चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए एम्बुलेंस की भी सुविधा उपलब्ध है। 102 और 108 एम्बुलेंस 24 घंटे चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए तैनात है। जननी सुरक्षा योजना को बेहतर प्रतिसाद मिलने से अब घर के बजाय संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। अस्पताल के अंदर मरीजों के रहने और ठहरने के लिए उचित बंदोबस्त की गई है। जीवनदीप समिति के जरिये दवाई और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को दुरूस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। अस्पताल के भीतरी वार्ड को काफी बेहतर रूप दिया गया है। मरीजों की देखभाल और उनके सेहत को दुरूस्त बनाने की अस्पताल के दीगर कर्मियों की भी कोशिश में कोई कमी नहीं दिख रही है।
नीति आयोग ने भी सराहा
साल्हेवारा के सरकारी अस्पताल की अंदरूनी व्यवस्था को नीति आयोग भी सराहा चुका है। 9 मई को विश्व नर्स-डे के अवसर पर नर्स आमबाई को वर्चुअल नीति आयोग से सराहना मिली। इसके अलावा कई खास अवसरों पर प्रदेश के स्वास्थ्य अफसरों द्वारा भी अस्पताल की खासियत से प्रभावित होकर तारीफें मिली।
हृदय रोगियों का म्युजिक थैरेपी से इलाज
जिला मुख्यालय से 110 किमी दूर यह सरकारी अस्पताल एक मिसाल भी बना है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ आरएमए डॉ. महोबिया हृदय रोगियों का भी बेहतर ख्याल रख रहे हैं। उन्होंने अस्पताल के एक कक्ष को म्युजिक थैरेपी के लिए आरक्षित कर रखा है। इस थैरेपी से हृदय रोगियों का इलाज किया जा रहा है। अस्पताल के कक्ष में एक साउंड सिस्टम के जरिये मधुर संगीत की धुन से धडक़न को सामान्य बनाने का प्रयास होता है। म्युजिक थैरेपी से हृदय को दुरूस्त बनाने के लिए कारगर साधन माना जाता है।