बेमेतरा

पांच साल बाद भी उधार के कमरों में चल रहा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी का कार्यालय
27-May-2023 2:54 PM
पांच साल बाद भी उधार के कमरों में चल रहा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी का कार्यालय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 27 मई। 
दीगर जिलों में एक तरफ जिला स्तरीय आयुर्वेद अस्पताल का संचालन प्रांरभ हो चुका है। जिले के समकक्ष दीगर जिले में ऐलीपैथी के विकल्प के तौर पर आयुष विंग याने आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धपैथी को बढ़ावा देने के लिए बाकायदा पालीक्निक व जिला स्तर का आयुर्वेद अस्पताल संचालित हो रहा है पर बेमेतरा जिला में इस तरह की सुविधा लोगों को नहीं मिला है। लोगों की मांग के बावजूद जिला मुख्यालय के 100 बिस्तर जिला अस्पताल में पालीक्लीनिक तक प्रांरभ नहीं हो पाया है।

कहां पर आबंटित है एक एकड़ भूखंड ये कोई नहीं जानता

जिला मुख्यालय में बिते साल आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के लिए अस्पताल कार्यालय स्थापना के लिए करीब एक एकड़ का भूंखड आबंटित किया गया है। विभाग को अभी तक आबंटित भूखंड की जानकारी तक राजस्व विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है। आलम ये हैं कि जानकारी के अभाव में विभाग भूखंड को सुरक्षित नहीं करा पा रहा है। 

विधायक छाबड़ा द्वारा संचालक को पत्र लिखा गया था 

सूत्रो के अनुसार बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा द्वारा बिते अप्रैल माह में संचालक आयुर्वेद योग, प्राकृतिक चिकित्सा युनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी आयुष को पत्र लिख कर जिला मुख्यालय में आयुष पाली क्लीनिक प्रारंभ करने का पक्ष रखा गया था। जिला आयुर्वेद कार्यालय का स्थापना हुए 5 साल बित जाने के बाद भी जन सामान्य को स्वास्थगत सुविधा मुहैया कराने के लिए जिला मुख्यालय में आयुष विंग पांलीक्लिनिक प्रारंभ करने की आवश्यकता जाहीर किया गया था।

सेटअप की पूरी टीम नहीं, तीन कमरों में दवा रखें या खुद बैठें  

2018 से जिला आयुर्वेद कार्यालय का संचालन संसाधन केन्द्र के तीन कमरो में संचालित किया जा रहा है। इन कमरों में एक स्टोर रूम, एक स्टाफ रूम और एक अधिकारी के लिए कक्ष बनाया गया है । तीन कमरे वाले इस तंगहाल कार्यालय में 6 कार्यरत है जिसमें एक जिला आयुर्वेद अधिकारी सहायक ग्रेड 3 व 2, भृत्य, चौकीदार व एक अंशकालीन स्टाफ है। विभाग की जरूरत को देखते हुए कार्यालय का संचालन तंग स्थिति में चल रहा है। हालत ये हैं कि एक फार्मासिस्ट को मनरेगा विभाग के सोशल आडिट कमरे में बैठने के एक टेबल दिया गया है तब जाकर काम चल रहा है। तंगहाल स्थिति की वजह से कार्यरतो को खासा परेशानियों का सामाना करना पड़ रहा है। 

बताया गया कि कार्यालय में पूरे जिले में संचालित औषधालय के कार्यरत भी समय-समय पर पहुंचते है तब कक्ष में पैर रखने की जगह तक नहीं होता।

जिला अस्पताल में आयुष विंग भी प्रारंभ नहीं 

पांच साल से जिला अस्पताल में एक सेटअप तैयार कर आयुष विंग प्रारंभ करने का मांग किया जा रहा है। इसे प्रारंभ करने के लिए पूर्व सीएस डॉ. पाल द्वारा उच्च कार्यालय को पत्र लिख गया था इसके बाद की स्थिति अभी तक साफ नहीं हो पाया है। वर्तमान सीएस डॉ. एस आर चुरेन्द्र ने बताया कि हमारा जिला अस्पताल में आयुष विंग प्रारंभ करने की योजना नहीं है फिलाहल वर्तमान सेटअप ही मुश्किल से चल रहा है।

लोगों को ऐलोपैथी का विकल्प मिल सकेगा  

आयुर्वेद चिकित्सा के जानकार मानते हैं वर्तमान समय में आयुर्वेद उपचार को लेकर लोगो में रूचि बढ़ी है। गांवो में चलाये जा रहे औषधालय का लोग पूरा लाभ उठा रहे हैं। शहर में अगर पालीक्लीनिक, आयुष विभाग की सुविधा प्रारंभ होगी तो ऐलोपैथी के विकल्प लोगों शहर शहर में मिल सकेगा।
जिला आयुर्वेद अधिकारी बीणा मिश्रा ने कहा कि आयुष विंग प्रारंभ करने के लिए जिला अस्पताल प्रबंधन की पहल जरूरी।
 

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