बेमेतरा

ठाकुर राम को मां ने स्वप्न में दी प्रेरणा, तब मूर्ति स्थापित
15-Apr-2024 3:04 PM
ठाकुर राम को मां ने स्वप्न में दी प्रेरणा, तब मूर्ति स्थापित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15 अप्रैल।
हाफ नदी के तट पर बसा ग्राम बुचीपुर में आज से 42 वर्ष पूर्व मां महामाया घास-फूंस की कुटी में स्थापित थीं। आज भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है और इसकी प्रसिद्घि दूर-दूर तक फैल गई है। साथ ही यह धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित हो चुका है। सर्वप्रथम 1980 के चैत्र नवरात्रि पर्व पर इस मंदिर में 15 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित की गई थी। मंदिर समिति का निर्माण सन 1981 में हुआ।

समिति के प्रथम अध्यक्ष गजाधर प्रसाद पांडेय मुंगवाए वाले हुए। सन 1977 में ग्राम बुचीपुर प्राथमिक शाला में एक शिक्षक की नियुक्ति हुई। उन्हें ग्रामीणों ने इस मंदिर से जुडऩे कहा शिक्षक मां महामाया की सेवा में जुट गए, जो कि आज इस मंदिर समिति के एक मात्र कर्ताधर्ता हैं और उन्हीं के सहयोग और माता की कृपा से 21 लाख रुपए की लागत से भव्य मंदिर निर्माण हुआ। सन 2003 से मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ। यह निर्माण पूर्णत: जनसहयोग से किया गया। इस भव्य मंदिर में तीन तल हैं। प्रथम तल में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है। दूसरे तल में मुख्य मंदिर है, जिसमें मां महामाया की मूर्ति स्थापित है।

स्वप्न आने पर की माता की स्थापना 
एक बार ठाकुर राम को मालगुजार की हवेली में सपना आया। वह ग्राम बुचीपुर में कथित हवेली के सामने महामाया की मूर्ति की स्थापना करे और नि:संतान दंपती श्रद्घा के साथ मां महामाया की पूजा-अर्चना करें। सुबह ठाकुर राम ने मालगुजार को बताया। नवागढ़ से 16 किमी दूर मां महामाया की मूर्ति स्थापित की गई।

प्रथम तल पर मां लक्ष्मी की स्थापना 
मंदिर में 52 गुंबज, प्रथम तल पर महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित हैं। इस भव्य मंदिर में तीन तल हैं। प्रथम तल में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है। दूसरे तल में मुख्य मंदिर है, जिसमें मां महामाया की मूर्ति स्थापित है। तीसरी मंजिल में मां महासरस्वती की मूर्ति स्थापित की गई है। इस मंदिर में 52 गुंबज हैं। मंदिर की ऊंचाई 52 फीट, चौड़ाई 24 फीट है।

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