राजनांदगांव

मानसून की खूब मेहरबानी से जलाशय लबालब, बरसों बाद ऐसा नजारा
19-Jul-2023 12:40 PM
मानसून की खूब मेहरबानी से जलाशय लबालब, बरसों बाद ऐसा नजारा

   नांदगांव के बड़े बांध-बैराज सावन के पहले पखवाड़े में छलके  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 जुलाई।
सावन महीने का पहला पखवाड़ मानसून की मेहरबानी से बांध-बैराज लबालब हो गए। सालों बाद ऐसी स्थिति बनी है। जिसमें बांध-बैराज छलकने लगे हैं। रोजाना हो रही बारिश के कारण जिले के कई जलाशय अपनी तय क्षमता से अधिक भर गए हैं। सावन के महीने के 15 दिन के भीतर मानसूनी बारिश उम्मीदों से अधिक हो गई है। स्थिति यह है कि बैराजों में रोजाना हजारों क्यूसेक पानी छोडऩा पड़ रहा है। बैराजों के कैचमेंट एरिया से आवक बढ़ती ही जा रही है। 

मोंगरा जलाशय की स्थिति जल भराव के लिहाज से अलग है। फिलहाल बैराज से पानी का दबाव कम करने के लिए 4 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। जिले के बांध और बैराज के खुलने के कारण नदियां उफान पर है। शिवनाथ, पैरी, आमनेर और अन्य नदियों की धार बढ़ती ही जा रही है। बताया जा रहा है कि मानसून के मेहरबान होने से सावन के पहले पखवाड़े में औसतन रोज हुई बारिश से जलाशय तेजी से भर गए हैं। राजनांदगांव और खैरागढ़ जिले के बांध और बैराज अपनी क्षमता से अधिक लबालब हो गए हैं।

खैरागढ़ के बड़े पिपरिया जलाशय में पानी शत-प्रतिशत भर गया है। 100 प्रतिशत भराव के कारण जलाशय से पानी छोडऩे की नौबत आन पड़ी है। पिपरिया की क्षमता 40.56 एमसीएम है। इस जलाशय में अब पानी तय क्षमता से ऊपर भर गया है। खैरागढ़  जल संसाधन के अधीन रूसे जलाशय में 66 प्रतिशत, सुरही 59 प्रतिशत, नवागांव जलाशय 100 प्रतिशत, भेंडरा जलाशय भी शत-प्रतिशत भर गया है।

इधर राजनांदगांव जिले के जलाशय भी छलकने लगे हैं। तय क्षमता से अधिक पानी भरने के कारण रोजाना आधा दर्जन बांध-बैराजों से पानी छोड़ा जा रहा है। मटियामोती जलाशय भी लगभग भरने की स्थिति में पहुंच गया है। इस जलाशय की क्षमता 97.54 प्रतिशत है। मोंगरा जलाशय भी 100 प्रतिशत भर गया है। हालांकि इस जलाशय से पानी के बढ़ते दबाव के कारण 4 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। ढ़ारा जलाशय 75.90, सूखानाला 63, और घुमरिया नाला बैराज 60 फीसदी भर गया है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के ईई जीडी रामटेके ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि सावन का महीना अच्छी बारिश के लिए अनुकूल रहा। बांध-बैराज की स्थिति बेहतर है। जबकि मानसून का सीजन खत्म होने में दो माह से ज्यादा का वक्त है। बहरहाल सावन के महीने में नदी-नाले पूरे उफान पर है। नदियों की धार तेज होने से खेत-खलिहानों को भी लाभ मिलना तय है।

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