महासमुन्द

स्वच्छता दीदियां हड़ताल पर, एसएलआरएम सेंटर व मणिकांचन केंद्रों में ताला
01-Jul-2024 5:18 PM
स्वच्छता दीदियां हड़ताल पर, एसएलआरएम सेंटर व मणिकांचन केंद्रों में ताला

 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,1 जुलाई। महासमुंद शहर समेत जिले में हर सुबह डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम करने वाली स्वच्छता दीदियां शनिवार से सात दिवसीय हड़ताल पर चली गई हैं। उनके हड़ताल पर जाने से नगर समेत जिले के सभी नगर पंचायत में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन भी ठप हो गया है। एस एल आर एम सेंटर तथा मणिकांचन केंद्रों में ताला लटक गया है। महिला कर्मचारी अपनी तीन सूत्रीय मांग लेकर हड़ताल पर हैं और राजधानी में प्रदर्शन कर रही है।

उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी शासन-प्रशासन को चेतावनी दी है। जानकारी के मुताबिक महासमुंद पालिका के अंतर्गत कुल 170 स्वच्छता दीदियां हैं जो डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम करती हैं। वहीं, नगर पंचायतों को मिलाकर करीब 270 स्वच्छता दीदियां हैं। सुपरवायजर रमा महानंद ने बताया कि नगर निकाय महिलाएं 2017 से काम कर रही है। मिशन क्लीन सिटी के तहत बेरोजगार से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उनको स्वच्छता अभियान से जोड़ा गया है। यहां पर उनको पांच से 7 हजार मासिक मानदेय पर काम पर नियुक्त किया गया है। महिला सफाई कर्मचारियों ने मांग की है कि उनको कलेक्टर दर पर वेतनमान दिया जाए। सप्ताह के रविवार को छुट्टी दी जाए और सभी कर्मचारियों की पीएफ  राशि काटी जाए।

बहरहाल हड़ताल के चलते लोगों के घरों में कचरा जमा हो गया है और अपने घरों का कचरा यहां वहां कचरा फेंक रहे हैं। स्वच्छता रिक्शों के पहिए थमने से न केवल शहर में गंदगी फैल रही है। बल्कि घर का कचरा भी लोग नालियों में डाल रहे हैं। इससे नालियां भी जाम हो रही है। अब तक पालिका प्रशासन द्वारा इसे लेकर कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं निकाला गया है। कल शाम हड़ताल के बीच प्रदेश स्तर के अधिकारियों के आने से आज सकारात्मक पहल के संकेत मिले हैं।

बताना जरूरी है कि स्वच्छता दीदियां हर सुबह घर-घर जाकर सूखा-गीला कचरा एकत्र कर उसे सेंटर मणिकंचन केंद्र पहुंचाती हैं। यहां कचरा को छांट कर गीला और सूखा कचरा अलग. अलग करते हैं। दिन भर काम करने के बाद शाम को 5 बजे ये घर पहुंचती हैं। करीब 10 घंटे काम के बदले में उनको प्रतिमाह छह हजार रुपए वेतन मिल रहा है। इतने कम वंतन से घर परिवार चलाना आसान नहीं है।

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