महासमुन्द

थानों में जागरूकता शिविर, नए कानून का पालन करने संकल्प
02-Jul-2024 2:41 PM
थानों में जागरूकता शिविर, नए कानून का पालन करने संकल्प

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

़महासमुंद, 2 जुलाई। भारत में न्याय प्रणाली के तीन कानूनों में सोमवार से बदलाव हो गया। अब घटित अपराधों पर लगने वाली धाराओं की संख्या में भी परिवर्तन आ जाएगा। एक जुलाई से देश में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नए नियम प्रभावी हो गए हैं। इसे लेकर कल जिलेभर के थानों में जागरूकता शिविर आयोजित की गई। जहां लोगों ने नए कानून के पालन करने का संकल्प लिया।

उपस्थितों को नए कानून के संबंध में बुनियादी जानकारी दी गई। जिसके अनुसार अब अपराध घटित होने के बाद एफआईआर से लेकर न्यायालयीन प्रक्रिया में तेजी आने की बात कही जा रही है। यानी अब हर कार्य की समयावधि तय कर दी गई है। इससे आम लोगों को न्याय शीघ्र मिलने की संभावना बढ़ गई है। वहीं प्रशासनिक जवाबदेही भी तय कर दी गई है। ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। जिसमें जीरो एफआईआर एसएमएस और व्हाट्सएप से ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, एसएमएस के जरिए समन भेजने जैसे बदलाव शामिल हैं।

तलाशी और जब्ती समेत सभी जघन्य अपराधों के घटना स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान भी इसमें शामिल हैं। किसी भी मामले में सुनवाई पूरी होने के 45 दिन के भीतर फैसला सुनाया जाएगा। सन 2027 से पहले देश के सारे कोर्ट कम्प्यूटरीकृत कर दिए जाएंगे। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने को भी अहमियत दी गई है। नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था है। दुष्कर्म मामलों में अस्पतालों को मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के भीतर देनी होगी। वहीं जो आपराधिक प्रकरण एक जुलाई से पहले दर्ज हुए हैंए उनकी जांच और ट्रायल पर नए कानून का कोई असर नहीं होगा। एक जुलाई से सारे अपराध नए कानून के तहत दर्ज होंगे।

अदालतों में पुराने मामले पुराने कानून के तहत ही सुने जाएंगे। नए मामलों की नए कानून के दायरे में ही जांच और सुनवाई होगी।

कलेक्टर प्रभात मलिक ने कहा है कि पुराने कानून को प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय.सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया है। इस बदलाव से दंड से न्याय की ओर की भावना को ध्यान में रखते हुए सबके मानव अधिकारों का भी ध्यान रखा है। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया है। पीडि़त पक्ष को ध्यान में रखा है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है।

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