बीजापुर

वनकर्मियों के आवासों का हाल-बेहाल, बरसों से न मरम्मत न रंगाई-पोताई
08-Jul-2024 3:14 PM
वनकर्मियों के आवासों का हाल-बेहाल, बरसों से न मरम्मत न रंगाई-पोताई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 बीजापुर,8 जुलाई। जिला मुख्यालय में वनविभाग के कर्मचारी जिन शासकीय भवनों में रहते हैं, उनकी हालत बेहद खऱाब व जर्जर है। किसी के आवास का दरवाजा टूटा है तो किसी की खिडक़ी वहीं कई वर्षों से आवासों में रंगाई पोताई तक नहीं कराई गई है। वनविभाग के इन आवासों की मरम्मत न होने से इनमें परिवार के साथ साथ वनकर्मियों को भी काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आवासों में रहने वाले लोगों ने बताया कि कई बार हम अपने आवासो की मरम्मत के लिए लिखके दे चुके हंै। वहीं बीच बीच में विभाग के लोग भी समस्या जानने के लिए आते हंै और  समस्याएं लिखकर ले जाते हंै। लेकिन कई साल हो गए, विभाग की ओर से हमारे आवासो में किसी भी प्रकार का मरम्मत और न ही रंगाई पोताई का काम किया गया है। जिससे आवासों की हालत सही नहीं है।

लेटबाथ चोक, पानी की किल्लत 

  जिला अस्पताल के सामने बने वनविभाग के कर्मचारियों के 8 आवास है। इन आवासो में सबसे बड़ी समस्या शौच की है। यहाँ पर रह रहे लोगों ने बताया कि यहाँ पर जितने भी क्वाटर है उनमें अधिकतर का लेटबाथ चोक है। पानी की निकासी भी सही नहीं है। जिससे शौच के लिए बड़ी समस्या होती है। यहाँ पर कई कर्मचारी है जो इन समस्याओं के कारण दूसरे जगह पर या किराये पर रहने को मजबूर हैं।

10 साल पहले लगा था शीट, अपने खर्चे पर करवा रहे मरम्मत

इन सरकारी आवासों में 10 साल पहले विभाग ने खानापूर्ति के लिए सीट लगा कर अपना पल्ला झाड़ लिया था  उसके बाद वनविभाग ने वनकर्मियों के इन आवासों की तरफ मुडक़र नहीं देखा। वहीं पिछले 3 से 4 साल हो गए कर्मचारियों के इन आवासों में किसी तरह का कोई मरम्मत का कार्य नहीं हुआ। कर्मचारी अब अपने पैसों से अपने आवासों की मरम्मत करवा रहे हैं, वहीं कर्मचारियों के वेतन से हाउस रेंट की भी कटौती विभाग करता है।

कर्मचारियों के आवासों की मरम्मत के लिए आता है बजट, लेकिन होता नहीं काम

 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हर साल कर्मचारियों के आवासों की मरम्मत के लिए बजट आता है।  लेकिन इस बजट का इस्तेमाल वनविभाग के जिम्मेदार अफसर कहाँ करते है ये  जाँच का विषय है।

डीएफओ रामाकृष्णा रंगानाघा वाय ने इस संबध में कम बजट का हवाला देते हुए कहा कि हर साल 4 से 5 लाख रूपये का बजट आता है। लेकिन जिले में कुल 140 से 150 शासकीय आवास हंै। ऐसे में इतने कम बजट में सभी आवासों की मरम्मत करवाना आसान नहीं है। जहाँ पर प्राथमिकता होती है वैसे आवासों में मरम्मत का कार्य कराया जाता है और जो कर्मचारी कई साल से इन आवासों में रह रहे हैं, उन्हें भी छोटे छोटे कामों को करवाना चाहिए, ये उनकी भी जिम्मेदारी है।

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