बीजापुर
![फिल्टर मशीन खराब, दूषित पानी पीने मजबूर पोटाकेबिन के बच्चे फिल्टर मशीन खराब, दूषित पानी पीने मजबूर पोटाकेबिन के बच्चे](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1721207265314.jpg)
तारलागुड़ा का हाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 17 जुलाई। तारलागुड़ा में संचालित रेसिडेंशियल कन्या आवासीय विद्यालय पोटाकेबिन, बालक आवासीय विद्यालय पोटाकेबिन, आरएमएसए बालक/बालिका पोटाकेबिन के सैकड़ों बच्चे दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। यहां लगे हैंडपंपों में लाल पानी आता है इसके आलावा बच्चों को पीने के पानी का दूसरा कोई विकल्प नहीं हैं। कन्या पोटाकेबिन में पदस्थ अनुदेशकों ने बताया कि फिल्टर प्लांट लगा हुआ हैं जिससे पानी फिल्टर होकर साफ सुथरा मिलता था मगर वह भी तकरीबन 1 साल से खराब पड़ा हुआ हैं। जिसके चलते बच्चों को बोर से निकलता आयरन पानी पीना पड़ रहा है।
इस इलाके में रह रहे चार पोटाकेबिन के तकरीबन 500 से अधिक बच्चों को आयरन पीना पड़ रहा है। और स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है बच्चे इस दूषित पानी को पीकर बीमार भी पड़ रहे हैं। कन्या पोटाकेबिन में लगभग 250 बच्चे अध्यनरत हैं, वहीं बालक पोटाकेबिन में भी लगभग 250 बच्चे रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। आरएमएसए बालक/बालिका में 100 बच्चे अध्यनरत है। आश्रम शालाओं में लाल पानी उगलता हैंडपंप के अलावा पानी का कोई अन्य स्त्रोत नहीं है। बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में प्रशासन भी बेखबर हैं। हाल ही में तारलागुडा पोटाकेबिन व सांगमपल्ली पोटाकेबिन में दो बच्चो कि मलेरिया से मौत हो गई थी इसको लेकर पूरे शासन प्रशासन ने हडक़ंप मच गया था। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री आकर चले गए हैं, वहीं लगातार स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर लेकिन ऐसी परिस्थितियों कि ओर सम्बंधितो का ध्यान नहीं हैं।
एक साल से खराब पड़ी फिल्टर मशीन
समग्र शिक्षा रेसिडेंशियल कन्या आवासीय विद्यालय तारलागुडा परिसर में फिल्टर प्लांट लगाया गया हैं, लेकिन वह एक साल से खराब पड़ा हुआ हैं बच्चे हैंडपंप से निकलता हुआ लाल व दूषित पानी पी रहे हैं। आश्रमों में मौत कि घटनाएं सामने आने के बाद भी प्रशासन सख्त नहीं हैं। एक साल से खराब पड़े फिल्टर प्लांट को बनाने कि कवायद नहीं कि गई हैं ऐसे में क्या उम्मीद करें कि बच्चे स्वास्थ्य रहेंगे।
मौत कि घटनाओं से सबक नहीं
लगातार हुई मौत कि घटनाओं के बाद भी विभाग बेखबर हैं। बीमारियों से बचने के लिए विभाग कोई ठोस उपाए करता नजर नहीं आ रहा हैं। तारलागुड़ा आश्रम शालाओं मे लाला पानी के घेरे में बच्चे हैं, बोरिंग से निकलता पानी जंग खाया हुआ बदबू भी मारता हैं। साफ सुथरा करने वाले उपकरण खराब पड़े हुए हैं।
पीएचई उपअभियंता बीआर बंजारे ने बताया कि कोत्तूर पंचायत के तारलागुड़ा में आयरन की मात्रा है, कुछ हैंडपम्प को बंद करना पड़ा, लेकिन पोटाकेबिन का पानी ठीक है 0.3पीपीएम से 0.7पीपीएम तक है आयरन की मात्रा है। यहाँ पानी पीने योग्य है, फ्लोराइड की मात्रा बिल्कुल नहीं है। कोत्तुर में 31और तारलागुड़ा में 11 हैंडपंप है। हरिजन पारा, थाना के पास और पोटाकेबिन के पास के तीन हैंडपंपों में आयरन की मात्रा अधिक होने से उन्हें बंद करना पड़ा।
बीएमओ डॉक्टर चलपति राव ने बताया कि आयरन की मात्रा पानी में अधिक होने से बच्चों को किडनी और लीवर पर असर पड़ सकता है, और हाथ पैरों में दर्द और हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो सकती है। दांत खराब हो सकते है, कैंसर जैसी जाना लेवा बीमारी भी आ सकती है।