महासमुन्द
![सावन की झड़ी का तीसरा दिन, खेत लबालब, नदी-नाले-तालाब छलके सावन की झड़ी का तीसरा दिन, खेत लबालब, नदी-नाले-तालाब छलके](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1721810695hoto_3....jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 जुलाई। तीन दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश से जिले भर के खेत लबालब हो गये हैं। नदी-नालों में भी पानी आ गया है। ओडिशा सीमा से लगे जोंक नदी में बारिश की वजह से लबालब जलभराव हो गया है। जबकि आरंग महानदी में अब भी सतह की रेत दिखाई दे रही।
इधर, कोडार में जलभराव 7.4 इंच हो गया है जो रबी फसल के दौरान साढ़े 5 इंच ही था। यानी सावन की झड़ी के दौरान डेढ़ फीट पानी कोडार जलाशय में स्टोर हुआ है। सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोडार केचमेंट इलाका बागबाहरा है। बागबाहरा में यदि अच्छी बारिश होगी तो ही कोडार जलाशय में बढिय़ा जलभराव हो सकेगा।
23 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार कल कुल 8 मिमी वर्षा का रिकार्ड दर्ज किया गया है। नगर पालिका महासमुंद इलाके सहित जिले भर में बारिश के दौरान कहीं भी अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं है। कल पाालिकाध्यक्ष राशि महिलांग तथा पालिका की टीम ने शहर के अलग-अलग संवेदनशील इलाकों का भ्रमण किया। लेकिन कहीं भी पानी निकासी से संबंधित परेशानी नहीं है।
हालांकि, जिले के कुछ वन ग्रामों के भीतर छोटे नालों में पानी के भराव की वजह से ग्रामीणों को परेशानी है। जिला मुख्यालय महासमुंद सहित बसना, सरायपाली, पिथौरा, बागबाहरा सहित अर्बन क्षेत्रों में भी बारिश की स्थिति अच्छी है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खेतों को इस समय सर्वाधिक बारिश की जरूरत थी। ऐसे में यह बारिश धान के पौधों के लिये चत अमृत के समान है। जानकारी के मुताबिक महासमुंद शहर के नयापारा, सपेराडेरा तथा दलदली मार्ग स्थित चर्म व्यवसाइयों की बस्तियों में बारिश का पानी घुस रहा है। फलस्वरूप मिट्टी निर्मित घरों के ढहने का खतरा मंडरा रहा है। चर्मकार बस्तियों में कोई एक दर्जन भर घर हैं जो मिट्टी के बने हुये हैं।
खेती किसानी की बाात करें तो रोपाई के कार्य में तो अच्छी खासी तेजी आई है। लेकिन आजकल बहुत कम किसान बियासी करते हैं। बियासी के लिए हल बैल की आवश्यकता होती है, जो इन दिनों नहीं के बराबर है। यही कारण है कि बियासी के स्थान पर कई किसान पाटा, कोंपर चला रहे हैं या फिर निंदा नाशक दवा का छिडक़ाव कर लेते हैं।