महासमुन्द

कुड़ेकेल-सुरंगी पुल जर्जर, सालभर पहले नए निर्माण की घोषणा हुई थी, लेकिन ...
24-Jul-2024 2:23 PM
कुड़ेकेल-सुरंगी पुल  जर्जर, सालभर पहले नए निर्माण की घोषणा हुई थी, लेकिन ...

 बारिश में ग्रामीणों और स्कूली बच्चों की परेशानी बढ़ी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 24 जुलाई। महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक क्षेत्र में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं। केन्द्र और राज्य सरकार विकास कार्यों के कई दावे करती है। परंतु जमीनी हकीकत कुछ और है।

जिले के बसना-अरेकेल-कुड़ेकेल से जामली गांव की प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ को ही ले लीजिए। ग्राम कुड़ेकेल के पास बना सुरंगी नाला का पुल 4 वर्षों से जर्जर अवस्था में है। इसमें उक्त ग्राम के ग्रामीणों की सुरक्षा के दृष्टि से पुल पर आवाजाही पर रोक लगाने की सूचना बोर्ड दोनों ओर लगा रखा है। अब तक न तो इस पुल का मरम्मत हो रहा है और नहीं उद्धार हो रहा है। फलस्वरूप ग्रामवासी समेत कॉलेज स्कूल के छात्र-छात्रा अपनी जान जोखिम में डालकर इसे पार करने विवश हैं।  जानकारी अनुसार जामड़ी समेत पोटापारा को जोडऩे वाला सुरंगी नाला का पुल वर्ष 2005-06 में निर्मित हुआ था और वर्ष 2008-09 में जर्जर होना शुरू हो गया। निर्माण के 13-14 वर्ष बाद पुल में दरारें आईं और पुल जमीन में धंसने लगा। पुल का निचला हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया। पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद शासन ने ग्रामीणों की सुरक्षा के मद्देनजर पुल के दोनों ओर वर्ष 2021 में आवागमन न करने एक सूचना बोर्ड लगा रखा है। बहरहाल उक्त पुल 4 वर्षों से बद से बदतर हालत में है तथा दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहा है।

इस संबंध में सेतु निगम महासमुंद के एसडीओ विवेक शुक्ला कहते हैं कि सुरंगी नाला में उच्च स्तरीय पुलिया निर्माण हेतु राशि स्वीकृति हो गई है। जिसे फाइनेंस विभाग में मितव्ययता हेतु स्वीकृति के लिए भेजा गया है। जैसे विभाग द्वारा स्वीकृति प्रदान की जावेगी। टेंडर प्रक्रिया के बाद अविलंब पुलिया निर्माण प्रारंभ किया जाएगा।

ग्राम कुड़ेकेल-जामड़ी के ग्रामीण कहते हैं कि स्कूली और कॉलेज जाने वाले बच्चों का इस रास्ते आवागमन जारी रहा तो बड़ा हादसा भी संभव है। विगत चार वर्षों से मानसून आने के बाद बरसात में समस्याएं और भी बढ़ जाती है। बरसात में चार पहिया वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता। इन गांवों से जाने का एक अन्य रास्ता कच्चा है। बारिश शुरू होने के साथ ही रास्ते में बड़े.बड़े गड्डे बन जाते हैं और रास्ता कीचड़ व दलदल में तब्दील हो जाता है जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। बरसात में गर्भवतियों या कोई बीमार पड़ जाए तो बड़ी परेशानी होती है। इस मार्ग से विकासखंड मुख्यालय की दूरी महज 4 किलोमीटर है। जबकि अन्य दो कच्चा मार्ग परसकोल से बंसुला होते हुए बसना और सिरको से बसना की दूरी 10-12 किलोमीटर है, जो ऊबड़-खाबड़ व कच्चा है। स्कूली बच्चों को बसना पढ़ाई हेतु पुल के उस पार सुबह छोडऩा और शाम को लेने जाना पड़ता है। क्योंकि किसी भी रास्ते से स्कूल वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाता।

भूपेश ने कुड़ेकेल पुल निर्माण की घोषणा की थी

दिसंबर 2022 में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान पूर्व विधायक देवेन्द्र बहादुर सिंह की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुड़ेकेल पुल निर्माण की घोषणा की थी। वहीं राज्यपाल के 08 मई 2023 के आदेशानुसार लोक निर्माण विभाग रायपुर के उप सचिव एसएन श्रीवास्तव ने इस हेतु प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग, निज सचिव छग शासन, महालेखाकार, मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु परिक्षेत्र, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु मंडल, कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग, बजट शाखा को तत्काल जनरेट कर अग्रेषित करने आदेशित किया था।

 जिस पर 12 सितंबर 2023 को उप सचिव लोक निर्माण विभाग द्वारा 489.78 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी। पर आज तक किसी प्रकार कोई कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीण निराश हैं। ग्रामीणों की मांग है कि नये पुल निर्माण होते तक डायवर्सन मार्ग बनावा जाए।

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